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________________ गुजरातका इतिहास । [ १८१ मनेसे शुरू होकर कुशान राजा कनिष्क (सन् ७८) तक समाप्त होजाता है । मनेस स्कैथियनके शाका वंशमें था । मनेस क्षत्रपका पुत्र क्षत्रप सुदासने मथुरामें राज्य किया फिर कनिष्कने । पश्चिमी क्षत्रपोंके राजा । (१) नहापान - प्रथम गुजरातका क्षत्रपा सिक्केपर है । " राज्ञो क्षहरातस नहपानस । " उषभदत्त - जमाई नहपानका इसको नहपानकी कन्या दहमित्रा विवाही गई थी । नासिक और करलेके शिलालेखोंसे प्रगट है कि उपमदत्तने नहपानके राज्य में बहुत लाभकारी काम किये थे । यह बड़ा भारी अधिकारी था । यह हर वर्ष लाखों ब्राह्मणोंको भोजन देता था । भृगुकच्छ ( भरुच ) और दशपुर ( मंदसोर) में धर्मशाला व दानशालाएं व गोवर्धन तथा सुपारामें बाग और कुएं बनवाये थे । अम्बिका, तापती, कावेरी, दाहानू नदीपर मुफ्तकी नौकाएं जारी की थीं व नदी तटपर सीढ़ियां व घाट बनाए थे । इन कामों में ब्राह्मण भक्ति झलकती है, परन्तु उसने नासिक में बौद्धगुफा बनवाई | गुफाओं में निवासी साधुओंके लिये ३०० कार्षपान और ८००० नारियल के वृक्ष व एक ग्राम पूनामें कारलेके पास दान किया । ऋषभदत्त ब्राह्मणधर्मी जब कि उसकी स्त्री बौद्धधर्मी मालूम होते हैं । (२) क्षत्रप चसथाना द्वि० - (सन् १३० से १४०), इसका पिता जन्नोतिक था, जैसा उसके शिक्कोंसे प्रगट है । ( इस चसथानाका पोता रुद्रदामन था जो जूनागढ़ लेखोंमें है ।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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