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________________ गुजरातका इतिहास। [ १७५ ( Indian Autiquary XIX 233 ) में लिखते हैं कि भिन माल भीमसेन राजाकी राज्यधानी थी तथा विद्याका मुख्य केन्द्र था । ( राज्यमाला भाग १ पत्र ५६ ) के अनुसार इस श्रीमालनगरका राजा मूलरजसोलखी (सन् ९४२-९९७)के साथ उस हमले ने था जो सोरठके विरुद्ध किया गया था। यहां बहुत बस्ती थी २ दक्षिण गुजरात-इसकी राज्यधानी नांदीपुरी थी वर्तमानमें नांदोद जो राजपीपला राज्यकी राज्यधानी है। सन् १८९ से ७३५ तक यह बहुत महत्वशाली नगर था जैसा प्राचीन शिलालेखसे प्रगट है। चौथीसे आठवीं शताब्दी तक उत्तर और दक्षिणके मध्यका गुजरात देश वल्लभियोंके अधिकारमें था जो मूलमें गुर्जर थे। - इस गुजरातके प्राचीन विभाग-तीन थे (१) आनन (२) सौराष्ट्र और (३) लाट-आनर्तकी राज्यधानी आनंदपुर या बड़नगर या आवर्तपुर थी जो नाम वल्लभी राजाओंने सन ५०० से ७०० तकमें व्यवहार किया है (Ird Ant: VII 73-77) रुद्रामन क्षत्रपके गिरनारके लेख ( सन १५० ) में आनर्स और सौराष्ट्रको भिन्न२ प्रांत लिखा है । स्कंध गुप्तके गिरनार लेख सन् ४९० में भी सौराष्ट्रका नाम है । नासिकके गौतमीपुराके लेखमें सोरठ नाम प्राकृतमें हैं (सन् १५०)। १३ वी व १४ वीं शताब्दीके श्री जिनप्रभसूरि रचित तीर्थकल्पमें सुराथूआ नाम है । विदेशियोंने भी इसका नाम लिखा है जैसे स्टेशनों (५० सन् ई० पहलेसे २० तक) ने व स्पिनी (सन् ७०) ने व टोलिमी मिश्र
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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