________________
हैदराबाद जिला |
[ १६१
नगर व धाराशिवका वर्णन है व गुफाओंमें श्री पार्श्वनाथ स्थापनका कथन है
प्रमाण
अत्रैव भरते क्षेत्रे देशे कुन्तलसंज्ञके । पुरे तेरपुरे नीलमहानीलौ नरेश्वरौ || ४ || अस्मात्तेरपुरादस्ति दक्षिणस्यां दिशि प्रभो । गव्यूति कान्तरेचारुपर्वतोस्योपरि स्थितम् ॥ १४४ ॥ धाराशिवपुरं चास्ति सहस्रस्तंभसंभवम् । श्री मज्जिनेन्द्रदेवस्य भवनं सुमनोहरम् ।। १४५ ।। करकंडश्च भूपालो जैनधर्मधुरं धुरः ।
स्वस्य मातुस्तथा बालदेवस्योच्चैः सुनामतः ।। १९६ ॥ कारयित्वा सुधीस्तत्र लयणत्रभुत्तमम् ।
"
तत्प्रतिष्ठां महाभूत्या शीघ्रं निर्माप्य सादरात् ॥ १९७॥ अर्थात् करकुंड राजाने धाराशिवमें अपने अपनी मां व बलदेवके नामसे तीन गुफाओं के मंदिर बनवाकर बड़ी विभूतिसे प्रतिधा कराई। (१०) बंकर - जि० गुलबर्गा - शहाबाद ( G 1. P. ) से २ मील | जैन मंदिर पाषाणका है-र गर्भालय हैं । अंतर्गर्भ में प्रतिमा ६ फुट कायोत्सर्ग । बाहर - पाकाय, आदिनाथ आदि ।
1
(११) मलखेड़-बाड़ी के पास चितापुर से ४ मील - मलखेड़ रोड टेशन । प्राचीन नाम मलियाद्री यहां पहले १४ दि० जैन मंदिर थे | अब एक मंदिर स्थिर है कई मंदिर किलेमें दबे हैं । यही वह मान्यखेड है जो राजा अमोघवर्ष जैन चाटकीराज्यधानी थी । यहीं श्री जिनसेनाचार्यने गदयकाव्य पूर्ण