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________________ कोलाबा जिला। [१४१ (२५) कोलाबा जिला। इसकी चौहद्दी इस प्रकार है-उत्तरमें बम्बई बन्दर, कल्याण । पूर्वमें पश्चिमी घाट, मोर राज्य व पूना, सतारा । दक्षिण पश्चिम रत्नागिरी । पश्चिममें जंजीरा राज्य व अरब समुद्र । यहां २१३१ वर्गमील स्थान है इतिहास-कोलाबामें बड़े महत्वकी बात यह है कि इसका व्यापारी संबंध विदेशी जातियोंसे रहा है । भारतीय समुद्र होकर मार्गथा । इतिहासके पहलेसे अरव और आफ्रिकासे व्यापार था । मिश्र और फैनीशिया (२५००से ५०० वर्ष सन् ई० से पहले)से मुख्य संबन्ध था। ग्रीक और पैथियन लोगोंके साथ (२०० सन् ई० से पहलेसे २०० सन् तक) मुसल्मान अरबोंके साथ मित्रके समान व्यवहार था जो यहां (सन् ७००-१२००) में आते रहे थे । कोलाबामें सर्वसे पुराने इतिहासके स्थान चिउल, पाल, कोल महाड़के पास, कुडाराजपुरीके पास जिनमें पहली शताब्दीकी बुद्ध गुफाएं हैं। कोलाबामें बौद्धोंका बहुत निवास रहा है, उनका महत्व था। चीन यात्री हुइनसांग (६४०) ने यहां चिमोलोके पूर्व कुछ मीलपर राजा अशोकका स्तंभ देखा था (सन् ई० से २२५ वर्ष पहले)। यहां अन्ध्र भृत्योंने भी राज्य किया है। सन् १६० में जब वहां यशश्री या गौतमी पुत्र द्वि० राज्य करते थे तब इनका बहुत प्राबल्य था । शतकर्णी राज्यके नीचे कोन्कनका व्यापार पश्चिमसे बहुत उन्नत पर था जब रोम लोगोंने मिश्रको ले लिया था (सन् ई० से ३० वर्ष पहले)। टोलिमी, यूनानी भूगोल वेत्ताको ( सन् .१३५--१५०) कोंकनका ज्ञान था। कन्हेरी, नाशिक, करली
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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