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उत्तर कनड़ा जिला ।
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यद्यपि समयके फेरसे ये बहुत नष्ट होगए हैं, परन्तु इनमें २३ वें और २४ वें तीर्थंकरोंकी मूर्तियां अभीतक ठीक हैं। बड़े सुन्दर कृष्ण पाषाणकी हैं। भटकलमें अभी तक १४ जैन मंदिर मौजूद हैं जो पंद्रहवीं शताब्दीमें प्रसिद्ध चन्नभैखदेवीके राज्यके समयसे हैं। भटकल—जरसप्पा और वनवासीमें बहुत लेख कनड़ी भाषा में पाए गए हैं:
मुख्यस्थान |
(१) बनवासी ( बनवासी ) ग्राम तालु ० सिरसी, बरदा नदी तटपर, सिरसी से १४ मील । यह प्राचीनकालमें बड़े महत्वका स्थान था । यहां कादम्ब राजाओं की राज्यधानी रह चुकी है । जो जैन मंदिर पश्चिमकी तरफ बड़ा है उसमें १२ शिलालेख दूसरी शताब्दी से १७वीं शताब्दी तक हैं । Ptolemy टोलमी ने इसका वर्णन किया है । सन् ई० से तीसरी शताब्दी पहले बौद्ध पुस्तकों में भी इसका नाम आया है ।
बनवासी (१२०००) को तेरहवीं शताब्दी में देवगिरि यादवोंने ले लिया । इसका प्राचीन नाम जयन्तीपुर था । पांचवीं शताब्दीमें कादम्ब वंशका राजा मयूरवर्मा बहुत प्रसिद्ध हुआ । उसने चालुक्य राजाओंसे मित्रता कर ली थी । सन् १०७५ में यह जिला भुवनैकमलके सेनापति उदयदिसके आधीन था, उस समय विक्रमादित्यने १०७६ में उसपर अधिकार किया । इसने इस जिलेको अपने भाई जयसिंहको दे दिया । उसने झगड़ा किया तब यह जिला वर्मदेवको दिया गया तथा ११५७ में कलचूरी लोगोंने चालुक्योंका विरोध किया तब चालुक्योंने अपना