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मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक ।
nger ( मेघदूत) पार्श्वाभ्युदय is one of the curiosities
of sanskrit literature.
श्री जिनसेन के समकालीन राजा इस भांति थे । (१) राजा अमोघवर्ष - प्रथम (जैनधर्मी) नृपतुंगदेव, सार्वदेव । यह बड़ा विद्वान् था, इसने संस्कृत व कनडीमें अनेक जैन ग्रन्थ बनाए । प्रसिद्ध संस्कृतमें प्रश्नोत्तर रत्नमाला व कनड़ीमें कवि - राज मार्ग अलंकार ग्रन्थ है । राज्यकाल शाका ७६६ से ७९९ तक है । इनके समयमें ही श्री जिनसेनने शरीर त्यागा । राजा अमोघवर्ष भी अतमें मुनि होगए थे । इसके पीछे ८०११ वर्ष तक अमोघवर्षके पितृव्य इंद्रराजने फिर अमोघवर्षके पुत्र अकालवर्ष या द्वि० कृष्णने शाका ८११ से ८ ३३ तक राज्य किया यह बड़ा सम्राट था ।
(२) धाड़वाड़ नगर - नगरके बाहर काली मिट्टीके मैदान नवलगुंड की पहाड़ी तक पूर्वओर चले गए हैं व उत्तर पूर्व प्रसिद्ध येलम्मा और पारशगढकी पहाड़ी तक (दक्षिण - पूर्वकी तरफ मूलगंडकी पहाड़ी करीब ३६ मील दूर है ) ।
धाड़वाड़ के दक्षिण १ ॥ मील मैलारलिंग नामकी पहाड़ी है। उसकी चोटी पर एक पाषाणका मंदिर जैन ढंगका बना है । खंभे आदि बहुत बड़े भारी पत्थरके हैं तथा उसी पाषाणकी छत बहुत सुन्दर चित्रकलासे अंकित है । एक खम्भे में फारसीमें लेख है कि इस मंदिरको मसजिदके रूपमें बीजापुर सुलतानने सन् १६८० में बदल दिया । (३) हांगलनगर - धारवाड़से उत्तर १० मील । यहां ६०० गजके करीब चौड़ा एक टीला है जिसको कुन्तीनाडिव्वा या कुन्तीका