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धाड़वाड़ जिला। ११२६) और उसके पुत्र सोमेश्वर चतुर्थ (११२६-११३८) के राज्यमें हुए थे।
यहां ही वंकापुरमें श्री गुणभद्राचार्यने अपना उत्तरपुराण शाका ८२० व सन् ८९ (में पूर्ण किया जब यह वनबासी राज्यकी राज्यधानी थी व यहां राजा अकाल वर्षका सामन्त लोकादित्य राज्य करता था । यह जैन धर्मका भक्त था । श्री गुणभद्रकी गुरुवंशावली इस प्रकार है
एलाचार्य
वीरसेन
विनयसेन
जिनसेन
। दशरथगुरु
अमाघवषराजा
गुणभद्र
लोकसेन मंडल पुरुष। श्री जिनसेन बडे भारी आचार्य व कवि व विद्वान थे-जिनसेनने श्री जयधवल टीका शाका ७५९में पूर्ण की तथा पार्शम्युदय काव्यको मान्यखडमें राजा अमोघवर्षके राज्यमें पूर्ण किया। इस काव्यको इंग्रेज विद्वानोंने मेघदूत (कालिदासकृत)से बढ़िया लिखा है।
Jinasen however claims to be considered a bigħor genius than the author of cloud nosso