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११० ] मुंबईप्रान्त के प्राचीन जैन स्मारक ।
(१७) कुन्टोजी - मुद्देविहाल से उत्तरपूर्व २ मील । वासेश्वरका
१२४ फुट । दो मंदिर जिसमें चौतीस जैन खंभे
मंदिर चार कोनोंका है । ७० फुटसे मिले हैं, इनके मध्य में एक आंगन है हैं, २२ गोल १२ चौकोर ।
(१८) मुद्देविहाल - बीजापुरसे दक्षिण पूर्व ४५ मील । यहां नगरके आसपास कुछ जैन खंभे पड़े हुए हैं ।
(१९) संगम - हुनगुंडसे उत्तर १० मील । संगमेश्वर के मंदिरके २७ खंभे जैन ढंगके हैं । इस मंदिरको ८०० वर्ष हुए एक जैन ने बनवाया था, जिसका नाम था द्यावनायक गंजीपाल । सीढ़ियोंसे नीचे मंदिरसे नदीको जाते हुए एक पाषाणकी छत्री है जिसके भूरे हरे रंगके चार गोल खंभे जैनियोंके हैं।
(२० सिंदगी - बीजापुरसे उत्तर पूर्व ३५ मील। यहां संगमेश्वरका मंदिर है जिसमें बहुतसी जैन मूर्तियां हैं, कुछ खंडित हैं । (२१) सिरूर - बागलकोटसे दक्षिण पश्चिम ९ मील । ग्रामके बाहर लक्ष्मीका खुला मंदिर है जिसमें जैन खंभे हैं । बडे सरोवर के दक्षिण तटपर १८ एकड़ मूमिमें एक प्राचीन और सुन्दर सिद्धेश्वर का मंदिर (६० से ३२ फुट ) है । यह मूलमें जैन मंदिर था । भीत और खंभोंपर अच्छी खुदाई है । मंदिरके दक्षिण तरफ शिलालेख हैं, जो संस्कृत और पुरानी कनड़ीमें हैं । इनमें कोल्हापुरवंशका वर्णन है जो चालुक्योंके आधीन थे । नामशाका ९७२ से १०२१तकके हैं। मंदिर के पूर्व द्वारपर एक चबूतरा है । एक पत्थरको दो जैन खंभे थांभे हुए हैं। ग्रामके आसपास बहुतसे जैन खंभे फैले पड़े हैं।