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________________ वीजापुर जिला। [ १०७ (८) अलमेली ग्राम ता० सिंदगी-यहांसे उत्तर १२ मील । यह कहा जाता है कि यहां ग्रामके पश्चिम सरोवरपर एक बड़ा जैन मंदिर था । आसपास बहुतसी नग्न मूर्तियां पाई जाती हैं। (९) वागेवाडी-बीजापुरसे दक्षिण पूर्व २५ मील । यहां लिंगायत मठके स्थापक वासवका जन्म स्थान है । वासवेश्वरका मंदिर दक्षिण मुख है जिसमें आलोंपर जैन मूर्तियां हैं और बड़ी कारीगरीके द्वारपाल हैं । रामेश्वर मंदिर भी पुराना और जैन पद्धतिका है। ___ (१०) वासुकोड-मुद्देबिहालसे ६ मील उत्तर पश्चिम । यहां १ जैन मंदिर है जिसको जाखना चार्यने बनवाया था । (११) बीजापुर-फ्रांसीस यात्री मन्देलो-जिसने सन् १६३८ और ३९ में भारत यात्रा की थी-लिखता है कि सर्व एसिया भरमें जितने बडे २ नगर हैं उनमें एक यह भी है, इसका ऊंचा पाषाणकोट १५ मीलसे ऊपर है । चौडी खाई है । बहुत दृढ़ किला है,जहां १००० पीतल और लोहेके तोपखाने हैं। बादशाही मकानको अर्ककिला कहते हैं । मलिक करीमकी मसजिद को स्थानीय लोग कहते हैं कि यह एक जैन मंदिर था। (सं० नोट) अब भी यहां कई पुराने जैन मंदिर हैं व किलेमें प्राचीन दिजैन मूर्तियां अखंडित बिराजमान हैं। यहांसे २ मील एक प्राचीन जैन मंदिर श्री पार्श्वनाथजीका है, प्रतिमा १ हाथ ऊंची है । किलेकी मूर्तियें चंदावावडीसे लाई गई हैं। उनका वर्णन___ एक श्री पार्श्वनाथ ३ हाथ पद्मासन संवंत १२३२
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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