SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८२] मंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । यहां एक बहुत बड़ा सुन्दर प्राचीन जैन मंदिर मुक्तेश्वरका है जिसमें विशाल प्रदक्षिणा व बढ़िया खुदाव व शोभा है । (९) देगुलवल्ली-देगांवसे उत्तर पश्चिम १ मील व कित्तूरसे दक्षिण पश्चिम ३ मील । एक प्राचीन ईश्वरका मंदिर है जो मूलमें जैनियोंका था । ध्वंश होगया है । यहां १५ वीं शताब्दीका कनड़ी शिलालेख है। (१०) कडरोली-मलप्रभा नदीपर सांपगांवसे दक्षिण ६ मील । यहां पश्चिमी चालुक्य सोमेश्वर हि० का शिलालेख शाका ९९७ ( Ind. Ant, Vol. I P. 141 ) का है। (१) हन्निरो-सांपगावसे उत्तर पश्चिम ४ मील यहां एक प्राचीन स्वच्छ जैन मंदिर है जिसको अब शिवालय या ब्रह्मदेव मंदिर कहते हैं। (१२) कलहोले-घट प्रभा नदीपर । गोकाकसे करीब ७ मील । यहां एक प्राचीन जैन मंदिर है जिसमें शिलालेख हैं । अब इसको लिंगायत मंदिर कर लिया गया है। शिलालेख राट्ट राजाओंका और कार्तवीय चतुर्थ और मल्लिकार्जुन दोनों भाइयोंका है (११९९--१२१८) जिनकी राज्यधानी बेलगाम थी। इसमें लेख है कि शाका ११२७ पौष सुदी २ शनिवारको १६वें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ भगवानका (जैन) मंदिर जो कलहोलीमें है उसीलिये कुछ भूमि व कुछ नगद दान राना कार्तवीर्य चतु० ने पुनारीको किया।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy