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________________ बेलगाम जिला । [ ८१ जो राहोंका राजा था । इसमें बलात्कारगणके वंशधरोंका वर्णन है नो कोंडनूरु और हिलेरुमें राजासेन के नीचे ग्राम के अधिपति थे । पहला दान सरिगंक वंशके निप्पियम गामण्डने उस जैन मंदिरको किया जो कोंडनुरुमें शाका १००९ में बनवाया गया था । उसी बडे चालुक्य राजा कोन्नने भी इसी मंदिरको दान किया यह राजा यहां पूजा करने आया था तथा एक दान शाका १०४३ में विक्रके प्रिय पुत्र जयकर्ण ने अपने पिताके राज्य में किया तथा निप्पियम गामण्डने कुण्डी में एक घर व १५० कम्माभूमि दी । गोकाक फाल जहां नदीका पानी गिरता हैं वहां जो मंदिर हैं वे मूलमें जैनमंदिर थे ! The temples near fall were originally Jain temples. तथा जो यहां गुफाएं हैं वे जैन साधुओंकी तपस्या के लिये हैं । यह कोनूर प्राचीनकालमें जैनियोंका महत्व स्थान था । अभी भी ग्रामका आधिपत्य लिंगायत वंशके साथ २ जैन वंशको है । (६) नान्दीगढ़ - ता० बीड़ी, बेलगामसे दक्षिण २० मील है । यहां एक प्राचीन नमूनेदार जैनम दिर जंगलमें है जहां अच्छी कारीगरी हैं । (७) नेगीं ता० सपगांव- सांपगांव से उत्तर ७ मील यहां एक वासवका शिव मंदिर है उसमें राह राजा कार्तवीर्यके समयका शिलालेख शाका ११४१ का है । (८) बु ता० सांपगाम - यहांसे दक्षिण पूर्व १० मील ।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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