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प्राचीन जैन इतिहास संग्रह
ठेरे और राजा प्रजा को अनेक प्रकार के उपायों से प्रतिबोध कर जैन बनाये और उन्होंने अनेक धर्म कार्य कर पूर्व सेविन पाप को धो डाले इत्यादि ।
"उपकेश गच्छ पदावलि" (६२) किराटकुंप नगर का राजा जैत्रसिंह-जैनराजा . श्रेष्टी वयं बेसट किसी कारण वसात् उपकेशपुर से अपने कुटम्ब और धनमाल लेकर रवाने हो गये, रास्ता में जब किराटकुंप नगर आया तो आप बहुमूल्य भटेणो ले राजा जैत्रसिंह के पास गया उस समय उस नगर में अट्टाईमहोत्सव प्रारंभ होने के कारण महाजन लोग राजा से अर्ज करने को आये थे कि श्रा? दिन अमारी पहडा की घोषणा होनी चाहिये ? राजा ने कहा कि तुमारे महाजनों का यह क्या धर्म है कि हरेक कार्य में जीव हिन्सा बन्ध कराने की कोशिश की जा रही है । इस पर श्रेष्टी बेसट ने कहा कि यह धर्म केवल महाजनों का ही नहीं पर खास कर क्षत्रियों का ही है सदुपदेश के अभाव क्षत्रि लोग जीव हिन्सा करने लगे तब महाजनों को हिंसा बन्ध की कौशीश करनी पड़ती है। तीर्थकर और अवतारी पुरुष अहिंसा का ही उपदेश दिया इत्यादि उपदेश से राजा को अहिंसा धर्म का उपासक बनाया।
“नाभिनन्दौद्धार ग्रन्थ" ___ (६३) कनौज का राजा भोज-जैन राजा
ग्वालियर का महाराजा श्राम का पुत्र दुंदक और दुंदक का पुत्र भोज था और यह नृपति कनौज का शासन कर्ता थे। : आचार्य श्रीगोविन्दसूरि ने इसको प्रतिबोध देकर जैन धर्म का