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इतिहास जानने का सरल और सुंदर साधन । प्राचीन इतिहास संग्रह प्रथम भाग
- भगवान् ऋषभदेव से प्रभु महावीर तक तथा महाराजा प्रश्नजित, श्रेणक, कौणक, उदाई, नौनन्द, मौर्यचन्द्रगुप्त, बिन्दुसार, आशोक, कुनाण और साम्राट् सम्प्रति का इतिहास बड़े ही सोध एवं खोज से लिखा गया है । प्राचीन इतिहास संग्रह द्वितीय-भाग
जिसमें वर्तमान इतिहास कारों ने जो प्राचीन शिलालेख या स्थम्भ लेख बोध धर्म एवं महाराजा आशोक का सिद्ध किया है पर उसमें बहुत भ्रम है वे तमाम लेख सम्राट सम्प्रति एवं जैन धर्म के हैं इस बात को इतिहास प्रमाणों से अच्छी तरह से सिद्ध कर बतलाया है यदिप्राचीन इतिहास संग्रह तृतीय भाग
जिसमें महामेधबाहन चक्रवर्ति कलिंङ्ग पति महाराजा खारबेल का २००० वर्षों पूर्व का शिलालेख और साथ में कलिङ्ग देश का इतिहास है। प्राचीन इतिहास संग्रह चतुर्थ भाग
जिसमें भारत और भारत के बाहर जैन धर्म किस प्रकार प्रसरित हुआ था । वह सब इस किताब द्वारा पढ़ कर आपको आत्मा में गौरव के साथ नई बिजली पैदा होगी। शीघ्रता कीजियेपता-श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला,
मु० फलोदी (मारवाड़)
आदर्श प्रेस, केसरगंज अजमेर में छपा