SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाटलीपुर का इतिहास नौमलिक अठारेगण राजा, सिन्धु सौवीर का महाराजा उदाई, उज्जैन का नृपति चण्डप्रद्योतन, दर्शनपुर का नरेश दर्शनभद्र, पावापुरी का नरपति हस्तपालराज, पोलासपुर का नरेन्द्र विजयसेन, काशी का धर्मशील सावत्थीका अदितशत्रु, सांकेतपुर का धर्मधरन्धर महाराजा मित्रानन्द, अमलकम्पा का राजा खेत, क्षत्रिकुण्ड का महाराजा नंदीवर्धन, कौसुम्बीपति उदाई, कपिलपुर का भूपति यमकेतु, श्वेताम्बका का नरेश प्रदेशी और कलिंग का अधिपति महाराज सुलोचन ये सब जैन धर्म के प्रचार में पूर्णतया संलमथे। आदि तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव से लगा कर अंतिम तीर्थकर महावीर प्रभु के शासन काल तक चक्रवर्ती, वासुदेव प्रतिवासुदेव, बलदेव, मण्डलिक, महामण्डलिक आदि सब सदाशय एवं महापुरुष परम श्रद्धालु जैनधर्मावलम्बी थे। इनका ऐतिहासिक वर्णन यदि किसी को मालूम करना हो तो कलिकाल सर्वज्ञ भगवान् हेमचन्द्राचार्य महाराज विरचित "त्रिषष्टिशलाक पुरुषचरित्र" नामक बृहद्ग्रन्थ को देखो। प्राचीन इतिहास सिवाय जैन ग्रंथों के और कहीं भी नहीं पाया जाता । भगवान पार्श्वनाथ और महावीरस्वामी के इतिहास की सामग्री तो विस्तृत रूप में उपलब्ध हो चुकी है। इतना ही नहीं पर बावीसवें तीर्थकर भगवान् नेमीनाथ स्वामी को भी ऐतिहासिक पुरुष . मानने को अर्वाचीन इतिहासज्ञ तैयार हैं। ज्याँ ज्याँ अधिक खोज होगी त्याँ त्याँ जैन प्रन्थों का विषय ऐतिहासिक प्रमाणित हो कर सार्वजनिक प्रकाश में आसा रहेगा। ... भगवान श्री महावीर स्वामी के पीछे का जो इतिहास उपलब्ध हुआ है उस में अधिकाँश पाटलीपुत्र नगर का ही वृतान्त
SR No.007287
Book TitlePrachin Jain Itihas Sangraha Part 01 Patliputra ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpamala
Publication Year1935
Total Pages56
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy