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D परवाना नम्बर ८ जो उपर छपा है उस के जवाब में सम्वत् १६०६ वैशाख सुदी में भण्डारी वगैराहने दीवान साहब के नाम उत्तर लिख भेजा जिस की छट्ठी कलम में लिखा है कि " सेठजी व पंचो का केवा माफिक चालांगा "। E सम्वत् १६२१ भादवा विद ४ को भण्डारी जवानजी आदमजीने शाह हुक्मीचंदजी बाफरणा के नाम लिखा जिस में दरज किया है कि “ठे कदीम से मालकी आप की है। उपर दरज की हुई सिबूतें श्वेताम्बर समाज के हकूक में कितनी मजबूत है सो पाठक स्वयं सौच लें । इस के सिवाय उदयपूर- मेवाड - राज्य की कृपा जैन समाज पर असीम रहती आई है। जिस के कयैक उदाहरण प्राप्त हो सकते हैं । राज्य की कृपा का कुछ अंश हम पाठकों के सामने रखना चाहते हैं, सो नीचे लिखे परवाने पढने से विदित होगा ।
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नम्बर (१)
स्वस्ति श्री एकलिंगजी परसादातु सही राजाधीराज महाराणाजी श्री कुंभाजी आदे सातु मेदपाटरा उमराव थोबांदार कामदार समस्त महाजन पंच कस्य अपंच
आपणे अठे श्री पुज तपागच्छ का तो देवेन्द्रसूरिजी का पग का तथा पुनम्या गच्छ का हेमाचारजजी को प्रमोद है धर्मज्ञान बतायो सोठे यां का पग को होवेगा जणी ने
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