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________________ (६०) बोल मुरजाद सामा आधारी कसर पडी सुणी सो काम कारण लेखे भुल रही वेगा जीरो अंदेसो नही जाणेगा. आगामुं श्री हेमाचारजजीने श्रीराज महेमान्या है जीरो पटो कर देवाणोजी माफीक मान्या जावेगा श्री हेमाचारजजी पेली श्रीबडगछरा भट्टारकजीने बड़ा कारण सुं राज महें मान्या जी माफीक आपने आपरा पगरा गादी उपर पाटवी तपगच्छराने मान्या जावेगा इ सिवाय देश में आपरा गछरो देवरो तथा उपासरो वेगा जीरी मुरजाद श्रीराज सिवाय दुजा गछरा भट्टारक आवेगा सो राखेगा श्रीसमरण ध्यान देव जातरा करे जठे याद करावसी परवानगी पंचोली गोरो सं. १६३५ वरसे आसोज सुदी ५ गुरुवार ___इस परवाने को देखते बादशाह के परवाने बाबत और ज्यादे पुख्तगी हो जाती है। महाराणाधिराज के परवाने का भावार्थ विशेष रूप में लिखने लायक है, लेकिन यहां इस से सम्बन्ध नहीं है । बादशाह के परवाने कोई महानुभाव नालीबनावटी बतलावे तो यह नही हो सकता क्यों कि इस परवाने के सम्बन्ध में और भी प्रमाण प्राप्त हो सकते हैं । देखिये ___ (१) अव्वल तो इस सनद के विषय में मी. केन्डी जो हाईकोर्ट के जज रह चुके हैं वह निज के रिपोर्ट में तारीख २८ दिस्मबर १८७५ ई० को लिखते हैं, जिस का सार इस मुवाफिक है
SR No.007283
Book TitleKesariyaji Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherSadgun Prasarak Mitra Mandal
Publication Year1934
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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