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है । उस पट्टे में इस विषय के साथ सम्बन्ध रखनेवाले फिकरे
इस मुबाफिक हैं ।
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atra ( ही विजयसूरि ) जैन श्वेताम्बरी के आचार्य गुजरात के बंदरो में परमेश्वर की भक्ति करते हैं । इन को मेरे पास बुलाया और इन की मुलाकात से मैं बहुत खुश हुआ । उस के बाद इन्होंने अपने वतन में जाते वख्त अर्ज की के
जो गरीबपरवर की राह पर हुक्म होना चाहिये कि सिद्धाचलजी, गीरनारजी, तारंगाजी, केसरियाजी और आबू के पहाड जो गुजरात में है तथा राजगिरी के पांचो पहाड तथा समेतशिखरजी उर्फे पार्श्वनाथजी जो बंगाल के मुल्क में हैं, वह और पहाड़ों के नीचे ( तलेटी ) तमाम मन्दिर की कोठीयां तथा तमाम भक्ति करने की जगह तथा तीर्थ की जगह जो जैन श्वेताम्बर धर्म की तमाम मेरे मुल्क में जिस जगह जो हमारे कब्जे की है उन पहाडों तथा मन्दिर की आसपास कोई आदमी जानवर नही मारे तमाम पहाड और पूजा की जगह बहुत मुद्दत से जैन श्वेताम्बर धर्म की है । इस लिये इन की अर्ज मंजूर की गई । सिद्धाचल का पहाड तथा गीरनार का पहाड तथा तारंगा का पहाड तथा केसरिया का पहाड तथा आबू का पहाड जो गुजरात के मुल्क में है वह तथा राजगिरी के पांचो पहाड
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