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जैन श्वेताम्बर समाज का है और श्वेताम्बर मतानुसार बना है, व पूजन अर्चन भी श्वेताम्बरीय विधिविधान से होती आई है ।
इस के सिवाय एक और संगीन प्रमाण यह है कि श्वेताम्बर समाज के बनवाये हुवे सैंकडों प्राचीन मन्दिर बावन जिनालयवाले लाखों रुपयों की लागत के इस समय मौजूद है । उन में से एक मन्दिर श्रीकेसरियानाथजी का भी समझना चाहिये, और दिगम्बर सम्प्रदाय के बावन जिनालयवाले मन्दिर देखने में नहीं आये इस से भी यह साबित होता है कि यह तीर्थ श्वेताम्बर सम्प्रदाय का है ।