________________
( ६२ ) केसरियानाथ कहे सब कोय, हरे रोग सोग सबे सुख होय || घणां लास संघ आवे घमसान, बडाला ताशतरणां ए वखाण |२| अवनि आप मनावी आण, जुगादिनाथ हुवा जगजाण ॥ वो अशपूत दलिरहेक, एसो ना होडरो अइला पर एक | ३ | डोगरो नाम दियो दिगपाल, भयंकर कंपे है तास भूपाल ॥ पिगम्बर हाथ चोराशिय पिर, मंडे जिहां युद्ध धसे कररी ||४|| मुगला साथ बडा विकराल, मलेछां छाक छुरा मधराल || करे कटकाई धरे मन कोप, लडे हैदुआण लीआ बहु लोल ||५|| मंडे महाराज तज के परसाद, अस्या अशराण हुआ उन्माद || देवांरा थानक कीदां दूर, हरिहर आया आद हजूर ॥ ६ ॥
जाहे सग भय हरे रीस हस मयो भंणीय दिनमुख वयण, सुरन्दो भवत्रय गई बली जंतो पढम जीणं पयपंकज स सरण ? छप्प खरो ससला सूरा उपरां, मुगलां कोपियो उलां भलां, सूरांबल खाला कीया खंड ल्लल्लल्ल लके शेन द्विद्वे मचावतो मही धाक पावाड हाक मोडतो भ्रमडं असुरा मेवाडे आयो दाणा वारा देश पाडे, उछाले पछाडे देवा हेदु कीधा हार शंकरा जामशाही, ताछ कवरा चक्रधरा भ्रमाण भेखां भणे धुलेवा आधार, शरण आया शामला बाहर कीजे, नामीवाला देवा भर्जे, ऋषभजी उघाडीजे, आय मछे छाण मुजलांण केसरिया, चढीयो काल विकराल जगजाल गड़डडड गाज हडडडड हुइ हाक धडडड जे धरा धडड पडड धायो द्विने धंगधारा कडे चडे तडे पडे लडे भडे आरा नडे मूले भणे महाराज कियो जग जयकार ॥ चाल