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________________ (८५) भीम पुरंदर मोटो साहजीरे, पासपुर नगर सुवास ॥ चतुर जोडा वि रुडी चोपइरे, कीधो उत्तम काम ॥ ८२ ॥ सकल भट्टारक पुरंदर, सिरोमणि श्रीकीर्तिसागर ।। सुरंद तत् शिष्ये जोडी चोपइरे पुजपर नगर मझार ।। ७६ ॥ दान।। संवत सत्तर बयतालीस में रे, चैत्री पुन्यम सुखकार ॥ जे नर भणे गुणे ने सांभलेरे, तस घर जय जयकार ॥ ७७ ॥ - (२) ॥ २ ॥ खडगदेश में नगर धुलेव जास ददामा घुरता है। . ॥६॥ फिर बागड देश बडौद नगर में जगपर प्रभु करुना कीनी ॥ गाम धुलेव वंशजाल में गुप्त रहे हैं प्रभु धरनी॥ संवत अढार में भाउ सदाशिवराव ॥ नाथ धुलेवे कीरत सुन के, देश देश नृप आवत हैं। केशर में गरकाव रहते, केसरनाथ कहावत है ॥ १ ॥ ॥४॥ हिन्दुपति पादशाह उदेपुर, भीमसिंह के राजन में ॥ एह लावनी खुब बनाई, सकल संघ साजन में ।। ५ ॥ संवत अढार पंञ्चोत्तर वर्षे, फागण सुदि तेरस दिवसे ।। मंगल के दिन दीपविजय कुं, दरशन परसन दो ऊलसे ॥ रत्नसागर ॥
SR No.007283
Book TitleKesariyaji Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherSadgun Prasarak Mitra Mandal
Publication Year1934
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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