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करेगा पत्र समाचार लिखबो करेगा सवत् १९३४ जेठ बदी ६ सने.
नम्बर (८) स्वस्ति श्रीभीनमाल सुथाने सर्व प्रोपमा भट्टारक श्रीविजयविजयराजसूरिजी एतान स्वस्ति श्रीमत उदेपुर सुस्थाने महाराजाधिराज महाराणाजी श्रीफतेसिंहजी लीखावतां पगे लागणो बंचसी अठारा समाचार श्री............जी की कृपासुं भला हे राजरा सदा भला चाहीजे राजपुज हो अपंच पत्र
आप को आयो समाचार बांच्या दुपडो भेज्यो सो नजर हुवो पत्र समाचार लिखबो करोगा सं. १६४१ जेठ सुदी ९ सुकरे.
पाठक ! आप के सामने आठ परवाने रखे गये और भी सम्पादन हो सकते हैं, लेकिन इस केसरियाजी तीर्थ के इतिहास में इन का सम्बन्ध नहीं है । इस लिये ज्यादे पृष्ठ रोकना नही चाहता लेकिन मेवाड राज्य की कृपा कितने दरजे जैन समाज पर रही है सो उक्त परवानो से कुछ अंश में विदित हो जाती है । इस तरह के परवाने-पत्र-व आज्ञापत्र के देखने से श्वेताम्बर समाज का तीर्थ अच्छी तरह साबित हो जाता है । प्रमाण तो और भी सम्पादन हो सकते हैं लेकिन तलाश करनेवाला चाहिये।
इस के सिवाय एक और खुलासा करना आवश्यकीय है कि यह तीर्थ प्राचीन काल से श्वेताम्बरीय समाज का है और इस