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________________ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज आधा-आधा बांट देने का हुकुम दिया। यह सुनते ही लड़के की मां बहुत घबड़ायी। न्यायाधीश से उसने निवेदन किया-"महाराज, मुझे पुत्र नहीं चाहिए, वह मेरी सौत के हो पास रहे।” न्यायाधीश समझ गया कि लड़का किसका है। लड़के की मां को उसका लड़का मिल गया। एक बार, दो सेठों की कन्यायें स्नान करने गई हुई थी। उनमें से एक दूसरो के कीमती आभूषण लेकर चंपत हुई । मामला राजा के दरबार में पहुँचा। लेकिन कोई गवाह नहीं था। अन्त में दास-चेटियों को बुलाकर मुकदमे का फैसला किया गया। एक बार की बात है, कोई किसान अपने एक मित्र से हल में जोतने के लिए बैल मांगकर ले गया। शाम को जुताई का काम समाप्त हो जाने पर वह बैलों को अपने मित्र के बाड़े में छोड़कर चला गया। उस समय किसान का मित्र भोजन कर रहा था। उसने बैल देख लिए थे, लेकिन वह बोला कुछ नहीं । थोड़ी देर बाद, बैल बाड़े से निकलकर कहीं चले गये और उनका पता न लगा। किसान का मित्र किसान से अपने बैल मांगने गया, और जब उसने कहा कि बैल उसने लौटा दिये हैं तो वह उसे राजकुल में ले गया । रास्ते में जाते-जाते उन्हें एक घुड़सवार मिला। अचानक ही घोड़ा घड़सवार को गिराकर भाग गया। घुड़सवार की 'मारो-मारो' की आवाज सुनकर किसान ने इतनी जोर से लाठी फेंककर मारी कि वह घोड़े के मर्मस्थान में लगी और घोड़ा मर गया। किसान का यह दूसरा अपराध था। घुड़सवार भी उसे पकड़कर राजा के पास ले चला । आगे चलकर जब तीनों नगर के बाहर पहुँचे तो वहाँ नटों ने पड़ाव डाल रक्खा था। किसान ने सोचा कि अब तो उसे अवश्य ही आजन्म कारावास की सजा मिलेगी, तो वह क्यों न फाँसी लटकाकर मर जाये। यह सोचकर किसान गले फंदा में डालकर बरगद के पेड़ पर लटक गया। दुर्भाग्य से फंदा टूट गया और वह नटों के ऊपर आकर गिरा जिससे नटों का मुखिया मर गया। नटों ने किसान को अपराधी ठहराया और वे भी उसे राजा के पास ले चले। १. दशवैकालिकचूर्णी, पृ० १०४ । २. श्रावश्यकचूर्णी, प० ११६ । ३. तुलना कीजिये गामणीचंड जातक ( २५७ ), ३ पृ०, २८ इत्यादि ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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