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________________ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज शब्दानुक्रमणिका अ अंक (घोड़ों का दाना ) १०२ अंकुश १०० अंकुश ( आंकड़ी ) ४१८ अंग (कामदेव ) ४६३ अंग (जनपद) ९३ नोट, ९४, २२५, २५८, २६२, ४६३, ४६४, ४९४, ४९६ अंग २६, २८ नोट - द्वादशांग गणिपिटक प्रवचनभेद अंगप्रविष्ट २८ नोट अंगबाह्य २८ नोट अंग-मगध २२, ४५७, ४५८, ४६३ अंग रिसि ४२८ अंग-वंग ४६५ अंगलोक ४६३ अंगारकर्म १३७ अंगारवती ( रानी ) २५, ५१८, ५१८ मोट अंगारवती ( धुंधुमार की कन्या ) ५२० अंगुलिमाल ( चोर ) ८१ नोट अंजन ( पांच ) १५५ नोट अंजन सलागा (सलाई ) १५५ अंजनी (सुरमेदानी) १५४ ५०१, ५०१ नोट ५०६ ag ( ब्राह्मण विद्वान् ) ४१८ नोट अंबड ४१७४९४ अंबसालवन ४४६ अंत्रापाली ४७५ अंबुमक्खी ४१५ अंबुवासी ४१४ अंभी ( भी ) ६४ अकंपित ( गौतम गोत्रीय ) १७,४७४ ३६ जै० भा० अकबर ४७६, ४८३ अकलंक २४ अक्ख (धुरा) २६० अक्खाडग ( नाट्यगृह ) ३३३ अक्रियावाद (आठ) ४२२ नोट अक्रियावादी ( विरुद्ध ) ४२१, ४२२, ४२५ अक्षरज्ञान ( खेल-खेल में ) २९६ नोट अक्षरलेखन ३०० अक्षिरोग ३०९, ३१२ अक्षीणमहानसी ३४३ अठिम (केला) १२९ नोट अगट्टिया एकठा नाव ) १८२ नोट अंगबद्ध ८२ अंतरंजिया ४७१ अंतरंडकगोलिया (डोंगी ) १८२ अंधकवन २८२ नोट २७८ अंधकवृष्णि ४७२, ५००, ५०० नोट | अचलभ्राता (हारितगोत्रीय ) १७, ४६८ अचलेश्वर ४७८ १८२, अगडदत्त ४७, ८०, ८१, २४८, २९१, ३१९ अगासिया ( रांची जिले में ) ९ अग्घकंड (अर्धकांड ) ३०६ अग्निकुंड २६० अग्निभीरू ( रथ ) ९३, ९६, ५१९ अग्निभूति १७ अग्निहोत्रवादी ४२७ अचल ग्राम ) २९२ 1 अचल (व्यापारी ) १११, १७३, १७८, अचित्तवित्र ४३५ नोट अचिरावती (राप्ती) १२८, ३९६ नोट, ४८५
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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