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________________ दूसरा अध्याय : जैन आगम और उनकी टीकाएँ ३५ (उदाहरण के लिए पाटण के भण्डार में बृहत्कल्पभाष्य की विक्रम की १२ वीं शताब्दी की लिखी हुई प्रति मौजूद है ) में भाषा का जो रूप उपलब्ध होता है, उसे आगमों की प्राचीनतम भाषा का रूप समझनां चाहिए। . आगमों की टीकाएँ पालि त्रिपिटक पर आचार्य बुद्धघोष को अट्ठकथाओं की भाँति आगम-साहित्य पर नियुक्ति, भाष्य, चूर्णी, टीका, विवरण, विवृति, वृत्ति, दीपिका, अवचूरि, अवचूर्णी, व्याख्या, आख्यान, पञ्जिका आदि विपुल व्याख्यात्मक साहित्य लिखा गया है । आगमों का विषय अनेक स्थलों पर इतना सूक्ष्म और गम्भीर है कि बिना व्याख्याओं के उसे समझना कठिन है। इस व्याख्यात्मक साहित्य में 'पूर्वप्रबन्ध', 'वृद्धसम्प्रदाय', 'वृद्धव्याख्या', 'केवलिगम्य' आदि के उल्लेखपूर्वक व्याख्याकारों ने पूर्वप्रचलित परम्पराओं को प्रतिपादित किया है। भाषाशास्त्र के अध्ययन की दृष्टि से भी यह साहित्य बहुत उपयोगी है। नियुक्ति, भाष्य, चूर्णी और कतिपय टीकाएँ प्राकृत में लिखी गयी हैं जिससे प्राकृत भाषा और साहित्य के विकास पर प्रकाश पड़ता है । इन चारों व्याख्याओं के साथ मूल आगमों को मिला देने से यह साहित्य पञ्चाङ्गी साहित्य कहा जाता है। .. व्याख्यात्मक साहित्य में नियुक्तियों (निश्चिता उक्तिः निरुक्तिः) का स्थान सर्वोपरि है । सूत्र में निश्चय किया हुआ अर्थ जिसमें निबद्ध हो उसे नियुक्ति कहते हैं । नियुक्ति आगमों पर आर्या छन्द में प्राकृत गाथाओं में लिखा हुआ संक्षिप्त विवेचन है। आगमों के विषय का प्रतिपादन करने के लिए इसमें अनेक कथानक, उदाहरण और दृष्टान्तों का संक्षिप्त उल्लेख किया है। इस साहित्य पर टीकाएँ लिखी गयी हैं । संक्षिप्त और पद्यबद्ध होने के कारण इसे आसानी से कण्ठस्थ किया जा सकता है। आचाराङ्ग, सूत्रकृताङ्ग, सूर्यप्रज्ञप्ति, व्यवहार, कल्प, दशाश्रुतस्कन्ध, उत्तराध्ययन, आवश्यक, दशवैकालिक और ऋषिभाषित इन दस सूत्रों पर नियुक्तियां लिखी गयी हैं। इनमें विषयवस्तु की दृष्टि से आवश्यकनियुक्ति का स्थान विशेष महत्व का है । पिंडनियुक्ति और ओघनियुक्ति मूल सूत्रों में गिनी गयी हैं, इससे नियुक्ति-साहित्य १. आवश्यकचूर्णी पृ० ४६१ ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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