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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज
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चु ल्ली( चूल मराठी ) = चूल्हा २३१ चंगोड ५११५ ( बृ०)
(नि० चू०) चक्र = तिलयंत्र ३६४८ (६०) चोक्ख = चोखा ५५१० (७०) चडप्फडंत = बार-बार इधर-उघर
| चोप्प - मूर्ख ३७३ (बृ.) घूमना ६३२२ (६०) | चोप्पाल = चौपाल ४७७० (६०) चड्ड = एक पात्र १६५१ (६०) चोल्लय = भोजन ३१२७ (६०) चडुग = तेल का पात्र (चाडं गुजराती में) ५७७६ (नि०) छंदिय = निमंत्रित २८५६ (६०) चडुतरं चढ़ना-उतरना ४२२० छड़िय = छड़े हुए १२११ (६०)
- (बृ०) छड़ = छोड़ना २००३ (६०) चप्पडअ = चपटा ८४४ (नि०) छप्पइ = छह पैर वाली-जूं १५३७ चप्पुडिया = चुटकी बजाना ७.
(६०) ___ २३३ (व्य०) छब्बय = बांस की पिटारी ५५८ चमढण = मर्दन १६३ (पिं०) ।
(ओ०) चाउल = चावल का धोवन ४०३७ छल्ली = छाल १७१ (बृ.)
(बृ०) छाइल्ल = दीपक (छाया वाला) चाडो = भाग जाना १३३७ (बृ०) ७. ३५६ ( व्य०) चालिणि = छलनी (चाळण किंडिका = बाड़े का छिद्र २६५३ मराठी में ) ३४३ (बृ.) चिक्कण - चिकना ६६ (पिं०) छिक्क = छूआ हुआ २६४८ (६०) चिक्खल्ल (चिखल मराठी)= छिक्कोवण = जिसे जल्दी गुस्सा
कीचड़ ११७३ (बृ०) आता हो ६१५७ (६०) चिप्पक = कूटा हुआ (चेपो छिन्ना = छिन्नाला (जिसके हाथ,
गुजराती में ) ३६७३ (६०) पांव और नाक काट लिये गये चिब्भिड = खीरा (चीभडं हों) = कुलटा २३१५ (६०)
गुजराती में ) ८४३ (बृ.) छिहलि = शिखा ३६११ (नि०) चिरिक = चर्म का भाजन (मशक) छु = हट ५३६५ (नि०)
३२७३ (६०) छेवग = महामारी ५.७६ ( व्य०) चिलिण = अशुचि १६५ (पिं०) चीयत = प्रीतिकर १०५१ (६०) जक्ख = श्वान ४७४ (६०) चुक्क = चूकना ५१८१ (बृ.)
१ ( जड हस्ती १५८६ (६०) चुडण = जीर्णता २५ (पिं०)
जण = जन अथवा जण १४७२ चुडुलि = उल्का ४४६४ (६०) ।
(६०)