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परिशिष्ट ३
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कत्तंती = कातने वाली ५७४ (पिं०)| काहल = फल्गुप्राय २८४ ( बृ०) कत्थ = कहां (कोथाय बंगाली में) किढी=दासी अथवा वृद्ध श्राविका
१२०५, १६५६ (६०) कप्पट्ठग = बालक ४. ३३ (बृ.) कप्पट्ठी = कब्बट्ठी = जैन साधु
कीए = क्रीतः = खरीदा हुआ १. को रहने का स्थान देने वाले
६०६ (६०) गृहस्थ की कन्या अथवा युवती |
कीड = कीड़ा ६१२ (बृ.) या कुल बधु ३५५ (नि०)
| कुंचवीरग = एक प्रकार का जलयान कप्पर = खप्पर ५११ (नि०) |
५३२३ (नि०) कयल = केला १७१२ (६०)
| कुंडय = चावलों की कणी १४८ कयवर = कचरा ३१४ (६०)
(नि०) करग = पानी का बर्तन ( करवा ) कुकम्मिग = बर्तन, शालि, दाल
६०४ (नि०) आदि का अपहरण करने वाला कल्लं = कल १५४१ (६०)
३६०६ (६०) कल्लाल = कलाल ६०४७ (
निच०) | कुक्कुडी = (कूकड़ी गुजराती) मुर्गी
३. ३२ ( व्य०) कलिंच = तृण के पूले १४६८ (६०),
7 | कुट्टणी = कूटने वाली २६६३ कलिंच = बांस की खप्पच ५०६
(६०) (नि०) कडंग = जिस वन में तुंबी पैदा कली = प्रथम १०८४ (बृ.)
होती हो ४०३४ (६०) । कल्लुग = नदी के पत्थर ५६४६ ।
(बृ०) कुडंड = बांस का टोकरा ६२१४ कवड्डग = कौड़ी १६६६ (६०)
(६०) कसट्ट = कचरा ५५७ ( ओ०) कुडुंभग = जल का मेंढक १६४ । कहकहकह = कहकहा लगाना
(नि० चू०) ___ १२६६ (६०) कुडुइ = कुब्जा ४०६१ (बृ.) । कहणा = कहना = कहणा (पश्चिमी कुणी = जिसके हाथ न हो (टूंडा) उत्तरप्रदेश की बोली में) ११६०
३०१८ (६०) . (बृ०) कुतव = कुतप = जीन ३६६२ (६०) काणिट्ट = पत्थर (लोहे की व्य०
कुप्पासय = कूर्पासिक = कंचुक ४.५५५ टी० में) की ईंटें ४७६८
३६५४ (६०) कामगहह = कामगर्दभ (ब्राह्मण कुरिण = बड़ा जंगल ४४७ (ओ०)
के लिए प्रयुक्त ४४६ (पिं०) | कुरुण = राजा या किसी अन्य का कायिकी = मूत्र २०७२ (बृ०) । धन २. २३ (व्य० टी०)
३४ जै० भा०