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________________ ५२८ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज । उप्पेय = तेल आदि की मालिश | ओली पंक्ति २२१६ (६०) ६. ६१ ( व्य०) ... -- ओस =ओस ५५८ (नि.) उन्भंड = नग्न, निर्लज्ज ६१५१ ओसरण =साधुओं का एकत्रित _ (बृ०) होना ६१०३ ( बृ०) उभाभग=परस्त्रीगामी २३५८ ओहार=एक प्रकार की मछली (बृ०) ५६३३ ( बृ०) उमंग =अलायं-लुका २२६ (नि०) क उम्मरीय (उंबरठा मराठी)= कउय - वेष परिवर्तन करने वाला देहली ४७७० (६०) ५३५२ (६०) उल्लंडक मिट्टी का गोला ४२५४ कंकडय = कांकटकः (कुडकू हिन्दी) (बृ०). = न सीझने वाले, उड़द, चने उल्ला=आर्द्र=आल्ला (पश्चिमी आदि २१५ (बृ०) उत्तरप्रदेश की बोली में ) ३२६ कंचिक्क = कंचित्क = नपुंसक र (६०) ५१८३ (बृ.) उल्लुगच्छी=सुई की नोक ३६८६ कंटइल = कंटीले ३२४८ ( बृ०) (नि०) कंडन ( कंडिय ) = छड़ना १७१ उव=खाई ७२१ (६०) (पिं०) उवइ उवइग-समुद्देहिका= दीमक कक्कड़ी = ककड़ी १. १०५१ (बृ०) २६१ (नि०) कट्टर = कढ़ी में डाला हुआ घी का उवग (ओवग ) खड्डा =कुसारो बड़ा ६२५ ( पिं०) ४१५ ( नि०) | कट्टरिगा = कटारी २८६० ( निचू०) उठवण =उबटन १८११ (६०) उव्वर=ओवरी (ओवरी मराठी कट्ठल - हल द्वारा जोती हुई भूमि १२ (पिं०) में = कोठरी) १७३ (नि०) कडहू = एक वृक्ष ६५३ (नि०) उहर = छोटा ७. ३१६ (व्य) | कडुच्छिका = कड़छी २५६ (ओ० भा० टी०) एकखुरघोड़ी आदि एक खुरवाले कडुहंडपोलिक = गले में दारुण पशु २१६८ (६०) कुरूप पोटली वाला काला बकरा एक्कावण्ण =इक्यावन ३०८५ (६०) ६.८ (व्य०) एरंडदूए=हड़काया कुत्ता २६२६ कड्डिल्ल = निश्च्छिद्र २. २७(व्य०) (बृ०) कडढण = काढ़ना ८६६ (६०) एलालुग-खीरा-ककड़ी २४४२ (बृ०) कढियं = कढाया हुआ १४८४ (बृ०) ओ कण्हगोमी= कृष्ण शृगाल ६.३१७ ओम=दुर्भिक्ष १४५५ (बृ०) । (व्य०)
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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