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परिशिष्ट १
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२४-कुणाल जनपद को उत्तर कोशल नाम से भी कहा गया है। सरयू नदो बोच में पड़ने के कारण कोशल जनपद उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल दो भागों में विभक्त था।
श्रावस्ति ( सहेट-महेट, जिला गांडा) कुणाल जनपद की राजधानी थी। यह नगरी अचिरावतो (राप्ती) नदी के किनारे बसी थी। जैनसूत्रों में उल्लेख है कि इस नदी में बहुत कम पानी रहता था; इसके अनेक प्रदेश सूखे थे और जैन श्रमण इसे पार करके भिक्षा के लिए जाते थे। लेकिन जब कभी इस नदी में बाढ़ आतो तो लोगों का बहुत नुकसान हो जाता था। एक बार तो यहां के सुप्रसिद्ध बौद्ध उपासक अनाथपिंडक का सारा माल-खजाना ही नदी में बह गया था। ___ भगवान महावीर ने यहां अनेक चातुर्मास व्यतीत किये थे। श्रावस्ति बौद्धों का केंद्र था। अनाथपिंडक और मृगारमाता विशाखा बुद्ध भगवान् के महान् उपासक थे । मंखलि गोशाल को उपासिका हालाहला कुम्हारी श्रावस्ति को ही रहने वाली थी। पाश्र्वनाथ के अनुयायी केशीकुमार और महावीर के अनुयायो गौतम गणधर के बीच चातुर्याम और पंचमहाव्रत को लेकर यहां ऐतिहासिक चर्चा हुई थी। __जिनप्रभसूरि के अनुसार, यहां समुद्रवंशीय राजा राज्य करते थे, जो बुद्ध के परम उपासक थे और बुद्ध के सन्मान में वरघोड़ा निकालते थे | कई किस्म का चावल यहां पैदा होता था। श्रावस्ति महेठि नाम से कही जातो थी।" ___आजकल यह ऐतिहासिक नगरी चारों ओर से जंगल से घिरी हुई है। यहां बुद्ध की एक विशाल मूर्ति है जिसके दशन के लिए बौद्ध उपासक बर्मा, श्रीलंका आदि दूर-दूर स्थानों से आते हैं।
२५-लाढ अथवा राढ़ की गणना अनार्य देशों में की जाती थी। यह देश वज्जभूमि (वनभूमि = वोरभूम ) और सुब्भभूमि (सुह्म)
१. कल्पसूत्र ६.१२ पृ० २४४ अ; बृहत्कल्पसूत्र ४.३३; भाष्य ४.५६३९, ५६५३; तुलना कीजिए अंगुत्तरनिकाय ३,६ पृ० १०८ ।
२. आवश्यकचूर्णी पृ० ६०१; आवश्यकटीका ( हरिभद्र ), पृ० ४६५; मलयगिरिटीका, पृ० ५६७; टौनी का कथाकोश, पृ० ६ आदि ।
३. धम्मपदअट्ठकथा ३, पृ० १०; १, पृ० ३६० । ४. उत्तराध्ययन २३.२ आदि । ५. विविधतीर्थकल्प, पृ० ७०।