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परिशिष्ट १
४५९ देशों को जैन श्रमणों के सुखपूर्वक विहार करने योग्य बनाया। सम्प्रति के समय से निम्नलिखित २५३ देश आर्यक्षेत्र माने जाने लगे, अर्थात् इन क्षेत्रों में जैनधर्म का प्रचार हुआजनपद
राजधानी मगध
राजगृह अंग
चम्पा
बंग
ताम्रलिप्त
कलिंग
सौराष्ट्र विदेह
भद्रिलपुर वैराट
कांचनपुर काशी
वाराणसी कोशल
साकेत
गजपुर कुशात
सोरिय (शोरिपुर) पांचाल
कांपिल्यपुर जांगल
अहिच्छत्रा द्वारवती
मिथिला वत्स
कौशाम्बी शांडिल्य
नन्दिपुर मलय मत्स्य वरणा
अच्छा दशाण
मृत्तिकावतो
शुक्तिमती सिंधु-सौवीर
वीतिभय शरसेन
मथुरा भंगि
पापा वट्टा
मासपुरो कुणाल
श्रावस्ति लाढ
कोटिवष केकयी अर्ध
श्वेतिका १. बृहत्कल्पभाष्य १.३२७५-८९ ।
२. बृहत्कल्पभाष्यवृत्ति १.३२६३, प्रज्ञापनासूत्र १.६६ पृ० १७३; प्रवचनसारोद्धार, पृ० ४४६ ।
चेदि