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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज [ पांचवां खण्ड
साथ यक्षग्रह का भी उल्लेख आता है।' कितनी ही बार जैन साधु और जैन साध्वियों को यक्ष से आविष्ट हो जाने पर, किसी मांत्रिक आदि के पास जाकर चिकित्सा करानी पड़ती ।
राजगृह के मोग्रपाणि ( मुद्गरपाणि) यक्ष के हाथ में एक हजार पल की लोहे के एक बड़ी भारी मुद्गर थी। नगर का अर्जुनक माली कुल परम्परा से इस यक्ष का बड़ा भक्त था । वह प्रतिदिन अपनी टोकरी लेकर नगर के बाहर के उद्यान ( पुप्फाराम ) में जाता, पुष्पों का चयन करता, पुष्पों से यक्ष की अर्चना करता और फिर राजमार्ग में बैठकर अपनी आजीविका चलाता । एक दिन माली अपनी स्त्री के साथ उद्यान में पुष्प-चयन करने आया । उस समय वहाँ एक गुंडों की टोली आयी हुई थी। माली और उसकी स्त्री को देख वे यक्षायतन के किवाड़ों के पीछे छिप गये । तत्पश्चात् मौका पाकर उन्होंने माली को बाँध लिया और उसकी स्त्री के साथ विषयभोग करने लगे । यह सब देखकर अर्जुनक को यक्ष पर अश्रद्धा हो गयी । यक्ष ने मालो के शरीर में प्रवेश किया, तथा अपनी मुद्गर से गुंडों की टोली और मालिन को जान से मार दिया ।
उल्लेख भो
यक्षों द्वारा कन्याओं के साथ विषय-भोग करने के मिलते हैं। किसी ब्राह्मण की कन्या अत्यन्त रूपवती थी। वह उस पर आसक्त हो गया । उसने एक ब्राह्मणी को दूती बनाकर अपनी कन्या के पास भेजा । ब्राह्मणी ने कहा कि हमारे कुल में यक्ष द्वारा कन्याओं का उपभोग करने का रिवाज है, अतएव जब यक्ष तुम्हारे पास आये तो तुम उसका अपमान न करना, तथा वह अन्धकार में ही प्रवेश करता है, इसलिए उस समय प्रकाश न करना । लेकिन ब्राह्मण की कन्या भी कम चतुर न थी । उसने दीपक जलाकर उसे मिट्टी के बर्तन से ढँक दिया। रात्रि के समय यक्ष का आगमन हुआ । उसने जब दीपक के ऊपर से मिट्टी का बर्तन उठाकर देखा तो सारा रहस्य
१. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र २४, पृ० १२० ।
२. बृहत्कल्पसूत्र ६.१२ तथा भाष्य ।
३. अन्तःकृद्दशा ६ । तथा देखिये कथासरित्सागर, पेन्ज़र, जिल्द १, अध्याय ४, पृ० ३७ तथा नोट प्रोफेसर ब्लूमफील्ड, 'आन द आर्ट ऑव ऐन्टरिंग ऐनदर्स बॉडी' प्रोसीडिंग्ज अमेरिकन फिलॉसॉफिकल सोसायटी, ५६.१ ।