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________________ ३४६ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज [च० खण्ड दोहद को पूर्ण करने के लिए राजा श्रेणिक के बगीचे में आया, और अपने विद्याबल से आम तोड़-तोड़ कर अपनी स्त्री को खिलाने लगा। राजा को पता लगा तो उसने अपने मन्त्री अभयकुमार से कहा । अभयकुमार ने अपनी चतुराई से चोर पकड़ लिया। चोर को पकड़कर राजा के पास लाया गया। राजा ने उससे कहा-"यदि तुम अपनी विद्या मुझे देने को तैयार हो तो तुम्हें छोड़ जा सकता है।" मातंग ने यह बात स्वीकार कर ली। मातंग खड़ा होकर राजा को विद्या देने लगा। लेकिन उसका कोई असर न हुआ। कारण पूछने पर मातंग ने उत्तर दिया--"महाराज, मैं जमीन पर हूँ और आप आसन पर विराजमान हैं, फिर भला विद्या सिद्ध कैसे हो सकती है ??? मुख्य विद्याओं में गौरी, गांधारी, रोहिणी और प्रज्ञप्ति के नाम गिनाये गये हैं। तालोद्घाटिनी ( ताला खोलने की), अवस्वापिनी (सुलाने वाली), अन्तर्धान ( अदृश्य करने वाली), और मानसी विद्याओं का उल्लेख मिलता है। व्यवहारभाष्य में सर्पविष के उपशमन के लिए दूती, आदर्श, वस्त्र, आंत:पुरिकी, दर्भविषया, व्यंजनविषया, तालवृन्त और चपेटी विद्याओं के नाम मिलते हैं।' आथर्वणी (आहव्वणी), कालिंगी, पाकशासनी, वैताली, कुहेड___ १. दशवैकालिकचूणां १, पृ० ४५ । तुलना कीजिये धवक जातक (३०९), ३, पृ० १९७-८ । २. कथासरित्सागर में इसका उल्लेख है, मोनियर विलियम्स, संस्कृतइंग्लिश डिक्शनरी। ३. कल्पसूत्रटीका, ७ पृ० २०३ । ४. देवानंदा ब्राह्मणी को अवस्वामिनी विद्या से सुलाकर हरिणेगमैषी ने महावीर का गर्भहरण किया था, कल्पसूत्र २,२७ पृ० ४४-अ । द्रौपदी का हरण भी इसी विद्या के द्वारा किया गया था, ज्ञातृधर्मकथा १६, पृ० १८६ । ५. निशीथभाष्यपीठिका ३४७, ४०९ । ६. मोनियर विलियम्स, संस्कृत-इंग्लिश डिक्शनरी, पृ० ९३२ के अनुसार यह वास्तुविद्या होना चाहिए। ७. व्यंजनहारिका का उल्लेख मार्कण्डेयपुराण में है, मौनियर विलियम्स, संस्कृत इंग्लिश डिक्शनरी । ८. व्यवहारभाष्य ५. १३६-३८ । ९. आथभण का उल्लेख सुत्तनिपात, तुवटकसुत्त ४. १४.१३ में मिलता है। १०. सूत्रकृतांग २, २-१३, पृ० ३१७-अ ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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