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चौथा अध्याय : सैन्य-व्यवस्था।
९२-१०९ युद्ध के कारण । चतुरंगिणी सेना । युद्धनीति । अस्त्र-शस्त्र । पाँचवाँ अध्याय : राजकर-व्यवस्था।'
११०-११४ . कानूनी टैक्स । अठारह प्रकार का कर । राजकोष को समृद्ध बनाने के .' अन्य उपाय । शुल्कपालों की निर्दयता। , ,
छठा अध्याय : स्थानीय शासन ।
गांव शासन की इकाई । गांव का प्रधान ।
. ११५-११६
..... तृतीय खण्ड : आर्थिक स्थिति
पहला अध्याय : उत्पादन ।
११९-१६६ भूमि । खेतीबारी : खेती करने के उपाय। खेतों की फसल । सत्रह प्रकार के धान्य । मसाले । गन्ना । कपास आदि । दुष्काल । उद्यानकला। पशुपालन और दुग्धशाला । वृक्ष-विज्ञान । आखेट । उत्पादनकर्ता । वस्त्र-कताई और बुनाई । खान और खनिज विद्या। आभूषण और रल आदि । लुहार, कुम्हार आदि कर्मकर। गृहनिर्माण विद्या। अन्य कारीगर आदि । अन्य उद्योग-धंधे। चर्मकार । पुष्प-मालाएं आदि । सुगन्धित द्रव्य । स्त्रियों की प्रसाधन सामग्री। अन्य पेशेवर लोग । श्रम। दास और नौकर-चाकर । दो पली तेल के लिए गुलामी । ऋणदास । दुभिक्षदास + रुद्धदास । दासचेटों की कथाएं। दासचेटियां। पांच प्रकार की दाइयां । दासवृत्ति से मुक्ति। मजदूरी पर काम करने वाले भृत्य । पूंजी । प्रबन्ध । अठारह श्रेणियां ।
दूसरा अध्याय: विभाजन ।
१६७-१६९ विभाजन चार प्रकार का । किराया । वेतन-मजदूरी । व्याज । लाभ।
१७०-१९२
अध्याय तीसरा : विनिमय।
अन्तर्देशीय व्यापार । आयात-निर्यात । यान-वाहन । नदी और समुद्र के व्यापारी । कारोबार की व्यवस्था । व्यापार के केन्द्र नगर । मूल्य । मुद्रा । क्रयशक्ति । उधार । माप-तौल । .