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________________ 45 आगमों :- 12 अंगों + 11 उपांगों + 6 छेद सूत्रों + 10 पयन्ना + 4 मूल सूत्रों + 2 अनुयोग द्वार । छेद सूत्रों में महानिशीथ सूत्र मूख्य है । इसमें 10 पूर्वधर वज्रस्वामीजी ने (अंतिम 10 पूर्व धर) नमस्कार महामंत्र के अक्षरदेह को 'पंचमंगल महाश्रुत स्कंध' के नाम से प्रसिद्ध किया । 1444 ग्रंथों के रचयिता हरिभद्रसूरिजी म.सा. . ने 15 निर्जला उपवास करके शासनदेवी को प्रगट किया था । उनकी कृपा से आचार्य भगवंत ने नाश हो गए ऐसे नवकार के अध्ययनों को पुनः स्थापित किया था । भगवान् ने नवकार के साथ अनुसंधान ( जुड़ने) के लिए कहा है । नवकार के 68 अक्षरों के साथ शब्दानुसंधान इतना पवित्र क्यों होता है ? परम स्तुतिवाद रूप पंच परमेष्ठि पदों पर परमेष्ठिओं ने भी आराधना की है, हो रही है और होगी ही । आत्मा का संबंध, भाष्य, उपांशु एवं मानस जाप द्वारा कर सकते हैं । भाष्य जाप : बोलकर होता है । 300 मीटर / सेकंड आंदोलनों में उपांशु जाप : गणगणाट पूर्वक का जाप । 500 मीटर / सेकंड आंदोलनों । मानस जाप : मानसिक धारणामय जाप । 3 लाख मीटर / सेकंड आंदोलनों । आंदोलनों साधक के आसपास Circular Movement धारण कर उसकी में से अंदर प्रवेश कर औदारिक, तेजस, कार्मण शरीर को भेदकर आत्मप्रदेशों पर पहुँचते है और उसकी ऊर्जा कर्मों का क्षय करती है । यह एक वैज्ञानिक सत्य है । नवकार से कर्मक्षय में सहायता मिलती है । ऊर्जा तेजस में से कार्मण शरीर में प्रवेश कर कर्मक्षय कराती है । इसी कारण तप निर्जरा स्वरूप होता है । शब्दानुसंधान का उदाहरण :- देव, आयुष्य पूर्ण होने वाला वानर, देव रूप के अंतिम दिवसों में नवकार के अक्षरों को जंगल की शीलाओं पर अंकित कर देहांत होता वानर, उहापोह-जाति स्मरण ज्ञान, नवकार के अक्षरों में वानर मग्न बना । अनशन क्रिया, राजा के यहाँ पुत्र रूप में जन्मा, बाली नाम से पूजनीय बना । ‘णमो अरिहंताणं' पढ़ में 'णमो' का अर्थ द्रव्य संकोच एवं भाव संकोच है । 22
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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