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संयम चारित्र ने भावतां भावतां (राग भूपाली)
सरल शुद्धश्वर राग भूपाली, मध्धम निषाद वर्जित है आत्म स्वरूप प्रगट करनको सुरवर मुनि भूप गावत है ।
लेवा जेवुं ना लीधुं मैं, संयम चारित्र आ भव मां छोड़वा जेवो छोड़यो नहीं, खारो संसार मैं आ भव मां
लेवा जेवुं .... शाश्वत सुख ने समझ्यो नहीं तुं राच्यो सहु सुख आभास मां मेलववा जेवो क्यांथी मले तने मोक्ष दूषित आ मारग मां लेवा जेवुं .....
दस दृष्टांते दुर्लभ एवो मानव भव ले जाय 'श्रद्धांध' चहे दोष निवारण, आत्म उजागर अंतर मां
लेवा जेवुं .. 'श्रद्धांध'
2010
दीप्ति बहिन की दीक्षा के पश्चात् अनुप्रेक्षा रुप विचारते हुए जो प्रेरणा प्राप्त हुई उसके फलस्वरूप लिखा गया
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