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असंख्य अप्काय शरीर जितनी काया 1 पृथ्वीकाय की
अणी पर असंख्य रहे इतना । (भगवती सूत्र : श. 19 )
60. आकाश प्रदेश कितना होता है ?
एक छोटे से बिन्दु मात्र लिखने में असंख्य आकाश प्रदेश जगह देते हैं । प्रत्येक समय में ये प्रदेश बाहर निकलते असंख्य वर्ष, पल्योपम, सागरोपम, अरे ! असंख्यकाल चक्र बीते तो भी सब प्रदेश बाहर नहीं आते । ( नंदी सूत्र )
61. 14 पूर्व का ज्ञान विशाल, विपुल, लक्ष्ण, बुद्धि के स्वामी को होता है । आश्चर्य तो यह है कि 9 वर्ष की उम्र में दीक्षा ग्रहण करने वाले बाल मुनि को भी हो सकता है अल्प काल में 14 पूर्व सीख लेते हैं । इन बाल अणगार को 4 ज्ञान प्रकट हो सकते हैं और आहारक शरीर भी बना सकते हैं । (भगवती सूत्र : श. 24 . )
॥ जैन जयति शासनम् ॥
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