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GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®OGOGOGOGOGOG 25. ऐसे भी जीव हैं कि जो 48 मिनिट में, 12,824 शरीरों को छोड़ते हैं, पृथ्वीकाय,
अपकाय, तेउकाय, वायुकाय के जीव, 48 मिनिट में 12,824 बार जन्म मरण करते हैं। प्रत्येक वनस्पतिकाय 32,000 शरीर को धारण कर छोड़ती है, साधारण वनस्पतिकाय 65,536 शरीर धारते हैं, छोड़ते है'। अंतर्मुहूर्त में छ:काय के जीव कितने ही भव कर
लेते हैं । (ग्रंथ के आधार से) 26. 16,383 हाथी प्रमाण स्याही से लिखा जाए इतना 14 पूर्व का ज्ञान, ज्ञानी अणगार स्वयं
को प्राप्त लब्धि से अंत:मुहूर्त में देखकर पढ़ लेते हैं । (ग्रंथ के आधार से) 27. एक समय में असंख्य जीवों का जन्म-मरण होता है । (जीवाभिगम सूत्र) 28. देवशक्ति की दिव्यता के दर्शन, निरीक्षण, भुवनपति देव जंबूद्वीप को उठाकर मेरु पर्वत
पर छत्राकार में रख सकते हैं, इतने शक्तिशाली होते हैं । आसक्ति के पाप में पृथ्वी,
पानी, वनस्पति, में उत्पन्न होते हैं । (पन्नवणा सूत्र) 29. वायुकुमार इन्द्र वैक्रिय वायु फैलाकर एक झपट्टा मारे तो पूरे जंबू द्वीप को भर दे ।
स्तनीत कुमारेन्द्र शब्दों के सम्राट, गर्जना के द्वारा पूर्ण जंबूद्वीप के मनुष्यों को बहराकर दे । नागकुमार धरणेन्द्र सुवर्णकुमारेन्द्र स्वयं के शरीर के एक भाग से पूरे जंबूद्वीप को प्रकाशमय कर दे। विद्युत कुमारेन्द्र बिजली की चमक से जंबूद्वीप को रोशनीमय कर दे। अग्नकुमार अग्नि ज्वाला से जंबूद्वीप को जला दें। द्वीपकुमारेन्द्र हथेली में जंबू द्वीप को उठाले । उदधिकुमार जंबू द्वीप को जल तरंगों से जल द्वारा भर दे (पन्नवणा सूत्र) देव
इतने शक्तिशाली होते हैं। 30. 'जहाँ आसक्ति वहाँ उत्पत्ति' :- लाखों वर्ष, पल्योपम ओर सागरोपम तक दिव्य काम
भोगों को भोगने वाले होने पर भी अतृप्ति एवं आसक्ति के कारण प्यासे ही रहते हैं । देवलोक की समृद्धियाँ, वन, उद्यान, फूलों में पिरोया हुआ ये जीव एक छोटे से फूल में उत्पन्न हो जाता है । फूल के न नाक, न कान, न आंख । देव अब दुःखी ही दुःखी । (पन्नवणा सूत्र)
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