________________
शुभगति आराधना के 10 अधिकार
अतिचार आलोचना।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10. नवपद का जाप ।
ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप और वीर्याचार के इस भव एवं पर भव के अतिचारों की आलोचना।
व्रत (गुरु की साक्षी से ) ।
क्षमा (84 लाख योनि के साथ क्षमा याचना का भाव ) ।
18 पाप स्थानक वोसिराना ।
चार शरणों का नित्य अनुसरण ।
दुराचार की निंदा - गर्दा ।
शुभ का अनुमोदन ।
मन के शुभ अध्यवसाय ।
अवसर आने पर अनशन ।
गुण स्थान 14
1. मिथ्यात्व :- सर्व दुःखों का मूल कारण ।
2. गुण स्थान का आधार - बाह्य धर्म क्रिया पर है ? True Or False ? False, आधार अंतर के परिणाम पर है ।
3. शुद्ध मान्यता की क्या जरुरत है ? इसके बिना गुणों का स्वरुप सही रूप से नहीं समझा जा सकता । शुद्ध उपयोग नहीं होता ।
4. शुद्ध मान्यता अर्थात् क्या ? जीव की जड़ता, परद्रव्य के मोह के कारण है ।
दा. त. जेब में 100 डालर स्वयं के हो तो गर्मी रहती है ना ? बैंक वाले के 10 लाख डालर हमेशा गिनकर घर आते हैं तब मुंह पर पॉवर क्यों दिखाई नहीं देता ? क्योंकि वह पराया धन - दूसरे का अधिकार समझा जाता है ।
433