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________________ ©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©® * सब करने दौड़ो मत । कम मगर ध्यान से करो । वैसे दश स्थान पर खड्डे खोदो तो भी पानी नहीं निकलता। मास-तुष मुनि :- नित्य प्रतिदिन सुबह, दोपहर, शाम बस एक ही रटन थी “मा तुष मा रुष' अर्थ से आत्मा को भावित करते 12 वर्ष तक नित्य 5 प्रहर यही शब्द रटते रहते। हीरे का व्यापारी हीरे का चयन करते हैं तब कैसी स्थिरता होती है ? नोट गिनते हैं तब कैसी स्थिरता होती है ? ऐसी ही स्थिरता वांचना लेते, शब्द शब्दों के अर्थ में, रहस्य में, गहराई में, अंतरंग ध्वनि में - सभी में आंतरिक रुप से जुड़े रहना होता है। * तालाब का पानी पीने की छूट सभी को है, किन्तु उसे गंदा करने की नहीं, प्रश्न विवेक से पूछना चाहिए, सभा में खलल न पड़े इसका ध्यान रहे। * नमस्कार 3 प्रकार के होते हैं :तारक तीर्थंकर को किए नमस्कार की शक्ति अपनी कल्पना से बाहर है। 1. इच्छायोग का नमस्कार सातिचारी चारित्रीय का नमस्कार।* 2. शास्त्रयोग का नमस्कार, छट्टे या सातवे गु. रहे हुए निरतिचारी को हो सकता है। 3. सामर्थ्य योग का नमस्कार क्षपक श्रेणि महात्माओं को हो सकता है। * श्रुत शास्त्र में कहे अनुसार करने की इच्छा वाले ज्ञानी को भी प्रमाद के कारण जो संपूर्ण धर्मयोग हो - उसे इच्छा योग कहते हैं। * शास्त्र शिरोमणी आचार्यश्री हरिभद्रसूरीश्वरजी म.सा. ने योग बिन्दु' में लिखा है - भिन्न ग्रन्थेस्तु यत्प्रायो मोक्षे चित्तं भवे तनुः । जिसने राग द्वेष की ग्रंथि को तोड़ डाला है उसका तन भले ही संसार में हो किन्तु मन तो पूरी तरह मोक्ष में ही रहता है। जो 'प्रियधर्मी हैं, उसको परिवार, पत्नी, स्वजन, संसार की प्रवृत्ति, पहनना, ओढ़ना, आभूषण-बंगला-बगीचा ये सब अच्छा नहीं लगता, प्रियधर्मी को तो सिर्फ धर्म ही अच्छा लगता है। 90®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®0 41190GO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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