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देव उ.
आयु -
जीव के निकलने के 5 मार्ग
1 सागर श्वासोच्छ्वास 15 दिवस (अर्ध मास), आहार 1000 वर्ष
2 सागर श्वासोच्छ्वास एक माह, आहार 2000 वर्ष
33 सागर श्वासोच्छ्वास 16/2 माह आहार 33000 वर्ष ।
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* मरण - जीव निकलने के 5 मार्ग हैं :
1. पांव से निकले तो नरक में जाता है ।
2. जंघा में से निकले तो तिर्यंच में जाता है
3. छाती में से निकले तो देवगति में जाता है,
4. सिर में से निकले तो मनुष्यगति में जाता है,
5. सर्वांग में से निकले तो सिद्धगति में जाता है ।
दो प्रकार का मरण - जिसकी प्रभु महावीर ने भी प्रशंसा नहीं की और न ही करने की अनुमति दी है ।
1. परिषह से पराजित हो व्रत भंग करके जो मृत्यु को प्राप्त होता है ।
2. इन्द्रिय के वश में जो मृत्यु प्राप्त कर ले ।
1. निदान मरण (ऋद्धि आदि की कामना कर मृत्य प्राप्त करे) 2. तद्भव मरण (फिर उसी भव में आना पड़े वह)
1. (गिरि पतन) पर्वत से गिरना, 2. (तरु पतन) पेड़ से गिर कर मरना ।
1. (जलप्रवेश) जल में झंपापात, 2. (अग्निप्रवेश) अग्नि में जल जाए ।
1. विष खाकर, 2. स्वयं शस्त्र का वार कर मरना
दो मरण ऐसे हैं जो मरना ही पड़ता है, ऐसा हो जाए । उसकी अनुमति नहीं दी गई फिर भी आज्ञा दे दी गई है ।
1. (वैहायस) पेड़ पर लटक कर फंदे द्वारा मरना ।
2. गिद्ध जैसे जीवों को शरीर सुपूर्द कर देना ।
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