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________________ विहंगावलोकन भारतीय जगत के विविध मुख्य दर्शन (अति संक्षिप्त) 1. बौद्ध 2. नैयायिक, 3. वैशेषिक दर्शन, 4. सांख्य, 5. योग दर्शन (2 से 5 तक के दर्शन समान अभिप्राय वाले हैं) 6. जैन 7. पूर्व मीमांसा अथवा जेमिनी दर्शन 8. उत्तर मीमांसा अथवा वेदांत दर्शन 9. चावार्क - यह दर्शन आत्म को स्वीकारता नहीं है । * जैन दर्शन एवं बौद्ध दर्शन को छोड़कर अन्य सभी दर्शन वेद को मुख्य रूप से प्रवर्तित करते हैं । * बौद्ध एवं जैन दर्शन स्वतंत्र दर्शन हैं, वेदाश्रित नहीं हैं । * बौद्ध दर्शन के मुख्य 4 भेद हैं :(1) सौतांत्रि (2) माध्यमिक ( 3 ) शून्यवादी (4) विज्ञानवादी * जैन दर्शन के सहज रूप से दो भेद हैं :- (1) श्वेताम्बर (2) दिगम्बर * चावार्क सिवाय सभी आस्तिक दर्शन है । जगत को अनादि मानते हैं । सृष्टिकर्ता ईश्वर नहीं है - बौद्ध, सांख्य, जैन तटस्थ रूप से ईश्वर कर्ता एवं सर्व व्यापक है - नैयायिक दर्शन कल्पित रूप से ईश्वर कर्ता है - वेदांत दर्शन G नियंता रूप से ईश्वर पुरुष विशेष है - नैयायिक दर्शन त्रिकाल वस्तु रूप आत्मा नहीं है, क्षणिक है - बौद्ध दर्शन अनंत द्रव्य आत्मता, प्रत्येक भिन्न है - जैन दर्शन सर्व व्यापक असंख्य आत्मा है, वह नित्य अपरिणामी है - सांख्य दर्शन जीव असंख्य है, चेतन है - पूर्व मीमांसा एक ही आत्मा सर्वव्यापक सत्चिदानन्दमय त्रिकाल बाध्य है-वेदांत दर्शन 7
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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