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________________ २७०७090909009009009090050७०७09090090909050७०७090७०७७०७०७ अकबर राजा का दृष्टांत हिन्दुस्तान के राज सिंहासन पर अकबर बादशाह ने 425 वर्ष पूर्व में राज्य किया था। श्री हीरसूरीश्वरजी महाराज के प्रवचन श्रवण से बादशाह का हिंसामय जीवन का सूर्य अस्त हो गया । अकबर के जीवन का मध्यान्ह अति हिंसा, व्यभिचार और क्रूरतामय था । स्वयं पूर्व भव में मुकुंद नामक सन्यासी था, धर्म में अनुरक्त था । किन्तु एक बार राजा की सवारी और ऐश्वर्य देखकर राजा बनने का नियाणा (निदान) कर लिया। ___ जीव दया से मिला हुआ पुण्य, तप और संयम का धन सम्राट बनने के लिए सौदे में चला गया । नियाणा करने से धर्मसता को सौदा मंजूर करना पड़ा, भौतिक आशंसा, धर्म करने के लिए अनुकूलताओं की होना चाहिए। चंपा श्राविका के छ: माह के उपवास अकबर के लिए कौतुहल का विषय था, जानने पर उसका सिर झुक गया। हीरसूरिजी का मिलना हुआ। अकबर का हिंसामय आचार :* रोज भोजन में 500 चिड़ियों की जीभ पकाई जाती थी। * सेना के लिए 20,000 वाघर (चिड़िया) तैयार रहती थी। * 114 मिनारों पर प्रत्येक मिनार पर 500 हिरण के सींग लटके रहते थे। * पक्षी और पशुओं की हत्या करने के लिए 5000 हत्यारों की नियुक्ति थी। * 36000 हिरण का शिकार किया था, उनकी खाल और 1 सोना मोहर अपने प्रत्येक शेख को ईनाम में दिया। * गंग कवि को अपनी गुलामी नहीं करने के बदले हाथी के पैर के नीचे कुचलवा दिया। * नहीं जैसे गुनाह में भी कई ब्राह्मणों की क्रूर हत्या करवा दी, उनकी जनोइयों का वजन साढ़े 74मण हुआ था। * हत्यारों के द्वारा निरन्तर 10 माह तक बेरहमी से पशुओं की हत्या (कत्ले आम) करवाई। * 12000 चीते और 500 बाघ बाड़े में बंद कर रखे थे। ७०७७०७0000000000033650090050505050505050605060
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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