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रसोईघर (भोजनशाला) में भोजन करने के बाद पचाने के लिए 24 घंटे चाहिए। मंदिर में धर्मक्रिया करने के बाद धर्म को पचाने के लिए 24 घंटे चाहिए।
तत्वज्ञान की स्पर्शना के लिए आत्मा को पूर्ण श्रद्धा के साथ स्वीकारना चाहिए। रायपस्सेणी सूत्र आगम में केशी गणधर प्रदेशी राजा का संवाद आता है -
प्र. - मैं आत्मा नहीं मानता, संदूक में से मनुष्य का शव मिला किन्तु छिद्र क्यों नहीं ? केशी : शंख की आवाज बिना छिद्र किए ही बाहर आती ही है ना।
प्र.- संदूक में शव मिला साथ में कीड़े भी तो थे। वे बिना छिद्र किए कैसे अंदर चले गए। उ. अग्नि लोह खंड के गोले के अंदर प्रवेश करती है वैसे।
मुख्य संदेश - सत्य बात जानने को मिलती है तो उसे ग्रहण कर लेना चाहिए । कठोर भाषा : आत्मा की कोमलता का नाश कर देती है, सब्जी काट कर नहीं, सब्जी सुधार कर दूंगी । साबुन के टुकड़े दो नहीं साबुन का कुछ भाग दो, भगवान ने मेरे पति को मार डाला इत्यादि।
जो व्यक्ति वीतराग परमात्मा के सन्मुखसामने जाए, श्रद्धामयी भाव हो तो उसको अपूर्व लाभ प्राप्त होता है । 'तित्थयरा में पसियंतु' । सूर्य ठंड भी उड़ाता है और गर्मी भी बरसाता है । विधि सहित क्रिया होती है तो ही लाभ मिलता है।
नमि राजर्षि की कथा - विजय लक्ष्मी सूरि विरचित ‘उपदेश प्रासाद' से उद्धृत ... अवन्ति :- देश, सुदर्शन :- नगर, राजा :- मणिरथ, छोटा भाई :- युगबाहु, पत्नी :मदन रेखा।
मदन रेखा अत्यन्त रुपावान थी, उसके चंद्रयशा नामक पुत्र था, युगबाह का बड़ा भाई राजा मणिरथ मदन रेखा के रुप में कामातुर होकर युगबाहू की हत्या कर दी । उस समय युवराज युगबाहु की पत्नी मदनरेखा गर्भवती थी । पति की हत्या हुई देखकर मदन रेखा अपने शील की रक्षा के लिए जंगल में चली गई । वहां पुत्र जन्म हुआ जो आगे जाकर नमि राजर्षि हुए।
मदन रेखा ने पुत्र की अंगूली में पति के नाम की अंगूठी पहना दी, रत्न कंबल में लपेट 9@GO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®© 328 99@GOG@GOG@GOOGOGOGOGOGOGO