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________________ १० को प्रतिकूल स्थिति में सहन करने की क्षमता और बुद्धि देकर धर्म में दृढ़ बनाती है । श्रावक दृढ़ धर्मी और प्रिय धर्मी थे । सुरादेव श्रावक, रोग उत्पन्न होने की धमकी से विचलित हो गए । किन्तु पत्नी की प्रेरणा से प्रायश्चित किया । चुल्लशतक श्रावक, संपति नष्ट करने की धमकी से विचलित हो गए, पत्नी की प्रेरणा से प्रायश्चित किया । इन उदाहरणों का सार यह है .. शरीर, संबंध और संपत्ति मन को अस्थिर करती है; यह नबली कड़ी है । * नियतिवाद व्यवहार में अनुचित ही है : सकडालपुत्र की मिट्टी द्वारा बर्तन पकाने की सभी क्रिया पुरुषार्थ जन्य है, ऐसा महावीर प्रभु ने समझाया और सर्वभाव नियत ही है, उसका खंडन करके बता दिया । व्यवहारिक जीवन में नियतिवाद को स्वीकारना उचित नहीं है । नियतिवाद स्वीकारने से व्यक्ति निष्क्रिय बन प्रमादी हो सकता है । 'जो होना होगा वह होगा' इस विचार के द्वारा या श्रद्धा द्वारा कार्य नहीं होता । एकांतवाद को स्वीकार न करते हुए पांच समवाय – काल, स्वभाव, नियति, पुर्वकृत कर्म और पुरुषार्थ स्वीकारना सभी प्रकार से युक्त है । - * साधु का महाव्रत स्वीकारना, रत्न खरीदने के समान कहा है । * श्रावक के 12 व्रत स्वीकारना, स्वर्ण खरीदने के बराबर कहा है । शक्ति अनुसार खरीदो । रत्न या सोना । अंतगड़ सूत्र की महा आत्माएँ 90 अध्ययनों में 90 जीवों का अधिकार है। 51 चरित्र 22वें तीर्थंकर अरिष्टनेमि के शासन के और 39 चरित्र महावीर स्वामी के शासन के हैं । 51 चरित्र में कृष्ण वासुदेव के परिवारों का वर्णन है । जैसे उनके 10 काका, 24 भाई, 8 पत्नी, 2 पुत्रवधूएं, 4 भतीजे, 2 पुत्र और 1 पौत्र का समावेश है । भगवान के समवसरण में आएं, धर्म श्रवण करें, मातापिता की आज्ञा से दीक्षा लें, जरा - मरण की अग्नि में मानव जीवन भस्म हो उसके पूर्व अगुरुलघु आत्मा को बचाए, मुनिवेश धारण कर अंतिम समय में संलेखना करके 9060 325
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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