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________________ IIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIII में गाड़ दिया, एक भाग व्यापारिक जहाजों में लगा दिया, एक भाग व्यापार में लगा दिया। ___ एक दिन सेठ के पास सूचना आई; व्यापारिक जहाज सभी डूब गए । जमीन खोदी तो उसमें कोयले निकले, उसी समय दुकान में आग लगी और सारी बहियाँ जल गयी । पाप के उदय से सेठ निराधार हो गया। ___ कर्म बंध करते समय मानव सोचता नहीं है । सचेत-सावधान नहीं रहे, अब सिर पीटने से कुछ भी हाथ नहीं आ सकता। ___ पाप का उदय हो तो 'समता' से सहन करना चाहिए । अशुभ को शुभ समय में बदलने की शक्ति आत्मा में ही है । निमित्त को दोष मत दो, आर्तध्यान मत करो, पुण्य का कार्य अधिक से अधिक करो, लक्ष्मी को रहना ही पड़ेगा। कुबेर सेठ का दृष्टांत - सात पीढ़ी तक चले इतना धन का अधिपति कुबेर सेठ नित्य लक्ष्मी देवी को प्रणाम करके उसकी कृपा मांगते हैं । एक दिन रात्रि के समय लक्ष्मीदेवी ने सेठ को उठाया, बोली - सेठ ! सात पीढ़ियों से मैं तुम्हारे साथ रहती हूँ अब मैं जा रही हूँ, इसलिए तुम्हारी आज्ञा लेने के लिए आई हूँ। __सेठ यह सुनते ही घबरा गया । ओह ! अब तो ऋद्धि-समृद्धि सारी जाने वाली है । सेठ लक्ष्मीजी से बहुत अनुनय-विनय करके रोकने की प्रार्थना की। लेकिन लक्ष्मीजी बोले - सेठ तुम्हारा पुण्य समाप्त हो गया है । जहाँ पुण्य नहीं है वहाँ मैं नहीं रह सकती। सेठ ने कहा - देवी! 3 दिन आप रुक जाओ फिर मैं आपको इजाजत दे दूंगा । 'तथास्तु' कह देवी अदृश्य हो गई। प्रात:काल कुटुंब को एकत्रित किया । परिवार के सभी सदस्य उपस्थित हो गए। सेठ बोला-आभूषण, रोकड़ आदि जो भी धन है मेरे सामने ढेर कर दो। कुछ ही समय में आभूषण -रुपये आदि का बहुत बड़ा ढेर हो गया। 3 दिन सेठ ने सभी सामग्री दान कर दी। सिर्फ शयन करने का पलंग और एक दिन खाने जितना सामान रख लिया और निश्चिंतता से सो गया। रात्रि में चौथे दिन लक्ष्मी देवी प्रकट हुई । सेठ को जगाया, बड़ी कठिनता से सेठ की नींद खुली । देवी को देखकर बोला - आप जाने के लिए आई हो - कल जाती हो तो आज - अभी चली जाओ। ७05050505050505050505050505028750509050505050505050090050
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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