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अचरमावर्त काल में विराधक भाव होते हैं, जिससे दोष निवारण या गुण प्राप्ति नहीं होती।
मोक्ष होना होगा जब होगा (नियतिवाद) तो पुरुषार्थ किसलिए करें ?
गणित के उदाहरण का जवाब पीछे के पन्ने पर दिया हुआ है और उसे प्राप्त करने के लिए जैसे-हिसाब-उसके बाद बाकी (जोड़-बाकी) आदि करना ही पड़ता है । गुणाकार, भागाकार, वर्गमूल, सारी रीति करना पड़ती है, उसके जैसा पुरुषार्थ है तो उदाहरण का उत्तर निश्चित होगा । फिर भी जब तक समझ में नहीं आता तब तक संपूर्ण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है । नियति को नहीं समझा तब तक पुरुषार्थ करना ही पड़ता है।
जिसको मोक्ष की इच्छा है, उसको मोक्ष नहीं मिले तब तक मोक्ष से पूर्व की सारी स्थितियां प्राप्त होती रहती है।
मोक्ष प्राप्ति के लिए, सत्संग करना, अच्छी पुस्तकों का वांचन करना, जिससे ज्ञानवर्धन हो। तप, जप, ध्यान में आगे बढ़ना, व्याख्यान श्रवण करना आदि से हेय, ज्ञेय और उपादेय का विवेक विकसित होता है।
* सभी को सुख अच्छा लगता है वह सुख कैसा हो तो अच्छा लगे ?
(1) ऐसा सुख जो पीछे से बड़ा दुःख न दे जाए। (2) जो अखंड सुख रहे (3) स्वयं के अधीन हो और (4) दुःख से मिश्रित सुख नहीं चाहिए। ___ * ऐसा सुख कहाँ मिलता है ?
हिरण को कस्तूरी की सुगंध आती है, वह जंगल में इस छोर से उस छोर तक दौड़ लगाता रहता है, यह देखने के लिए कि यह सुगंध कहाँ से आ रही है ? उसको नहीं पता कि यह खुशबू युक्त पदार्थ कस्तूरी' मेरी ही नाभि में है । वो जंगल में बाहर ढूँढता फिरता है। __ अपने सुख को पत्नी, पिता, पुत्र, पुत्री परिवार में ढूँढते हैं TV Set, Tea Set, BR Set, Dining Set आदि विज्ञान ने जो शोध करके उपयोग के साधन बनाए हैं, उसमें सुख को ढूंढते फिर रहे हैं। प्यास छिपाने के लिए विविध प्रकार के पेय पदार्थ पिए किन्तु जो पानी की प्यास है वह नहीं छिप सकती । पानी की प्यास पानी से ही दूर होती है।
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