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________________ कल्पना.... "दो शब्द अनुमोदना के" आपकी अनुमोदना, शोभे जैसे मोती की माला, श्रृंगारती शुभ भाव से, इस ग्रंथ के श्रुत कंठ को, कृतघ्नता के साथ रहकर, करूँ मैं भीने भाव से, आभार दर्शन ऊर्जा सभर, प्रसन्न मनपूर्वक आपको । श्रुतानुरागी विजयभाई “श्रुत भीनी आँखों में बिजली चमके' पुस्तक का संकलन आपने किया वह अत्यन्त ही आनंद की बात है । पुस्तक के पृष्ठों में क्या होगा ? उसका विचार न करते उसके नाम की चर्चा करेंगे तो वह गलत नहीं माना जाएगा । श्रुत - अर्थात् सम्यग्ज्ञान । मोक्ष मार्ग का परिचय । भीनी आंखें - ज्ञान का अध्ययन करने वाले के नेत्र, जन्म-मरण सुधारने के लिए भनी हो ऐसा ही आवश्यक है । G बिजली चमके - मेघ - वर्षा का आगमन बिजली की चमक से समझ सकते हैं, उसी प्रकार ज्ञान के अनुभव से, मनन, चिंतन से जीवन में जागृति आती है । आत्मा परमात्मा पद का अधिकारी बनती है यह, निश्चित है । विजयभाई आपकी अदृश्य भावना पूर्ण होवे, शासन देव आपको यश प्रदान करे, यही भावना..... मागसर सुद - 13 कल्याण 15 प्रवर्तक मुनिराज श्री हरीशभद्रविजयजी धर्मलाभ
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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