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GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOG@GOGOG@GOGOGOGOGOGOG __ छिद्र कैसे बंद होंगे? पोषध करो, आत्मा के निकट जाओ, प्रतिक्रमण करो, पीछे मुड़ कर आत्मा के दर्शन करो।
छिद्र बंद करने से क्या ? स्वयं को पूर्ण करो । 3 मार्ग हैं (1) प्रतीति : Realize (2) पुन:प्राप्ति - Recover (3) जीवन में उतारना - Retain.
अरुपी का अनुभव करने के लिए पहले रुपी को पदार्थ रुप में, विश्व के तत्वों को जैसे हैं वैसे देखना, परखना, समझना आवश्यक है।
हड्डी, नख, चमड़ी, दांत, केश - ये शरीर के पृथ्वी तत्व है। तुम्हारे आंसू, लार, पसीना, रक्त (खून), जल तत्व है - पाचन शक्ति, शरीर की गर्मी, अग्नि तत्व है।
श्वासोच्छ्वास - वायु तत्व है।
इसीलिए जो बाहर है वही अंदर है । दुनिया से अलग नहीं तुम्हारे अंदर-बाहर का रुप, ब्रह्मांड का रुप सुक्ष्म स्वरूप में है । जैन धर्म में तो ब्रह्माण्ड का स्वरुप मनुष्य के आकार का बताया है।
निरंतर परिवर्तन का रहस्य क्या है ? बहते रहना।
वृक्ष भी पत्ते को गिरने देता है, प्रकृति के नियम अनुकूल होकर हम भी सूखे जीर्ण-शीर्ण पुराने विचारों को पत्ते के समान गिराने वाले हैं। विस्तार और विकास के लिए योग - क्षेत्र - काल - भाव के अनुरुप परिवर्तन, निरासक्ति - अनासक्ति, में पत्ते गिरकर नाचते हुए गिरते हैं वैसे ही मान पूर्वक राग को छोड़ दो। * परस्परोऽपग्रहजीवानाम् - जीव परस्पर उपकारक बनकर एक दूसरे के विकास में ____ सहायक बनते हैं। * तर्क का जहां अंत आता है वहां आध्यात्म का प्रारंभ होता है। * शरीर रुप का आकर्षण वह वासना है, आत्मा के गुणों का आकर्षण प्रेम। * परोपकार श्रेष्ठ सदुपयोग है। * मिथ्यात्व टले और समकित मिले तो उपयोग और आनंद मिले।
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