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________________ GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®OGOGOGOGOGOG परस्पर टकराने का काम करते हैं । चेतन जब गति करता है तब सम्यक दिशा पकड़ता है। उसकी पूर्णता: केवल दर्शन, केवलज्ञान, केवल चरित्र, सिद्धशिला। आकाश = अवकाश देता है। काल = भौतिक अस्तित्व की कक्षा में काल का अस्तित्व परिणाम रुप में दिखाई देता जड़ और चेतन का घनिष्ठ संबंध है । छिलके और अनाज, फूल और सुगंध, मिट्टी और सोना जैसा उनका संबंध है। चेतन शक्ति पुष्प रुपी जड़ शक्ति से मानव बनती है, अंडा और अंदर का जीव, पत्ता और वृक्ष दोनों का संबंध स्पष्ट समझना, पक्षी अंडे को छोड़कर जब ऊपर उड़ता है तब या पत्ता वृक्ष से अलग हो उस प्रक्रिया का निरीक्षण करना होगा। ___ बालक जमीन में बीज बोते हुए देखता है - नासमझी से सोचता है बीज नष्ट हो गया। अनुभवी मनुष्य समझता है अनुभव से कि यह बीज एक दिन वृक्ष बनेगा । सम्यक् दृष्टि और मिथ्या दृष्टि के बीच यही फर्क है । मृत्यु का भी ऐसा ही है । गहना तुड़वाकर दूसरी डिजाइन बनवाते हैं किन्तु सोना तो वो का वो ही रहा। चेतना शक्ति अद्भुत है, पृथ्वी को फाड़कर बीज ऊपर आता है न ? रूई की गठान को (ढेर को) 1 माचिस की काड़ी भस्म कर देती है । उसी प्रकार तुम्हारा पुरुषार्थ । आत्मा का उपयोग कर्मों को जला सकता है। "हूँ" में "तुम" नहीं हो । हूँ सिर्फ समय की अपेक्षा से है, हूँ (मैं) सिर्फ तुम्हारा नाम है । हमारी क्षणिक बाह्य अवस्थाओं को असली मानने-मनाने का मिथ्यात्व है । कांच में देखो स्वयं को स्वयं हूँ को हूँ मानने जैसा है। जिस बर्तन में पानी भरा उसमें यदि छिद्र होगा तो पानी पूरा बाहर आ जाएगा । मन में यदि छिद्र होंगे तो आत्मा के अमूल्य उपहार कैसे रहेंगे। छिद्र कौन करता है ? वह है अपनी मर्यादाएँ और दिवालें, इच्छा-अनिच्छाएँ, घृणा, आकांक्षा, विस्तृतता, वास्तविकता के बिना लिए गए निर्णय । एक ही शब्द में कहें तो 'कर्म' प्रकृति, वह निष्पक्ष है । किसी के लिए उसके भेदभाव नहीं। ७०७७०७0000000000019090090050505050505050605060
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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