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________________ GG 45 जिन आगम के मुख्य 12 'अंगों' के विषय में संक्षिप्त विगत, 12 अंगों में से पाँचवा अंग (भगवती सूत्र ) अति प्रचलित है, उसमें से विविध आध्यात्म का स्वाध्याय, मन प्रसन्न कर दे ऐसा है । आगम का आध्यात्म आत्मा की ओर प्रयाण कराता है, करने वाला तिरता है और अन्य को तिराता है । इस संकलन को जन्म मिला उसमें वर्षों से मेरी धर्मपत्नी नलिनी, मेरी पुत्री मोना एवं पुत्र मालव का सहकार प्राप्त हुआ जिसे कैसे भूला जा सकता है । सर्वप्रथम प. पू. श्री हरिभद्र विजयजी म.सा. की असीम कृपा एवं प्रीति सह आशीष से कार्य की सफलता सरल एवं सहज प्राप्त हुई। उनका मैं ऋणी हूँ, गुरुदेव को 'मत्थेण वंदामि' पद्मश्री कुमारपाल भाई, सुज्ञधर्म प्रभावक स्नेही माननीय श्री नौतमभाई वकील, भारत से अमेरिका आकर वर्षों से स्वाध्याय प्रदान कर अनेक जीवों को धर्म प्रदान करने में निमित्त बनने वाले तरलाबेन दोशी तथा श्री भरत भाई शाह जो कि वर्षों से अनेक जीवों में धर्म प्रभावना कर रहे, उन सबका अंत:करणपूर्वक आभार । श्री पद्मभाई तथा मधुबेन धाकड़ ने विशाल गुजराती ग्रंथ के पृष्ठों का स्केनिंग निष्ठापूर्वक किया इस हेतु आभार व्यक्त करता हूँ । भरतभाई चित्रोड़ा का प्रिन्टिंग एवं सूज्ञ सूचना द्वारा प्रारंभ से ही गुजराती ग्रंथ को समझने में, सहकार हेतु आभार । मंदमति, अज्ञान या मंदबुद्धि के कारण अविनय, अविवेक या जिन-आज्ञा विरुद्ध कुछ भी लिखा हो तो त्रिविधि - त्रिविधि अंत:करणपूर्वक मन, वचन एवं काया के योग से मिच्छामि दुक्कड़म् ।” जैनम् जयति शासनम् 12 - विजय दोशी
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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