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जिनालय नमj
(राग - आशावरी) जिन मंदिर जिन उपाश्रयमां, आलीशान निर्माण हजो, गौतम स्वामीनी लब्धि हजो, अरिहंतनाउर आशीष हजो ॥
सात क्षेत्रमा सौथी उत्तम, दान का छे जिनालय साटे । मित्रों श्रावक श्राविकाओं, देजो दान सहु छूटे हाथे .... । ल्हावो अनुपम फरीफरी नां वे जिन शासन जयकार हजो ।
जिन मंदिर ...... आ अवसर ने ओलखी लईये, जन्म मल्यो छे सार्थक करीए, धन वैभवनां सुपात्र दाने, भवो-भव- भाथु भरी लईए । श्रद्धानां फूलोनी म्हेकथी, संघनो जय-जयकार हजो ॥
जिन मंदिर ....... कांति प्रसन्न जिन मूर्तिओथी, जलहलतुं जिनालय नमj, आरती मंगल दीवो गवातां, सुघोष घंटाखनुं शमणुं । समता भावना शीतल जलथी, 'श्रद्धांधे' प्रक्षाल हजो, सकल संघ मां मंगल वर्ते, दान भावनी वृद्धि हजो ॥
जिन मंदिर ......
“श्रद्धांध" अप्रैल 2004
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